________________
छे आरा.
(७५)
को पकड उन नदीके कीनारेकी रेतीमें गाड देंगे यह दिनकों सूर्यकि आतापनासे रात्री में चन्द्रकी शीतलतासे पक जायेंगे फीर सुबे गाडे हुवेका श्यामको भक्षण करेंगे श्यामको गाडे हुवेका सुबे भक्षण करेंगे इसी माफीक वह पापीष्ट जीव छठे आरेके २१००० वर्ष व्यतित करेंगे। उन मनुष्योंका आयुष्य लागते छठे आरे उत्कृष्ट २० वर्षका होगा शरीर एक हाथका हुन्डक संस्थान छेवटुं संहनन आठ पासलीयों और उत्तरते आरे १६ वर्षाका आयुष्य, मुडत हाथका शरीर, च्यार पांसलीयां होगी. उन दुःखमा दुःखम आरामें यह मनुष्य नियम व्रत प्रत्याख्यान रहीत मृत्यु पाके विशेष नरक और तीर्यच गतिमें जावेंगे । पाठकों ! अपना जीव भी एसे छ? आरेमें अनंतो अनंती वार उत्पन्न होके मरा है वास्ते इस बखत अच्छी सामग्री मीली है जिस्मे सावचेत रहनेकी आवश्यक्ता है। फीर पश्चाताप करनेसे कुच्छ भी न होंगे।
अब उत्सर्पिणी कालका संक्षेपमें वर्णन करते है। (१) पहला आरा छटा आरेके माफीक २१००० वर्षका होगा।
(२) दुसरा आरा पांचधा आरे जेसा २१००० वर्षांका होगाः परन्तु साधु साध्वी नही रहेंगे. प्रथम तीर्थकर पानाभका जन्म होगा याने श्रेणिकराजाका जीव प्रथम पृथ्वीसे आके अवतार धारण करेंगे। अच्छी अच्छी वर्षात होनेसे मूमिमें रस अच्छा होगा.
(३) तीसरा आरा-चोथा आरेके माफीक बीयालीसहजार वर्ष कम एक कोडाकोड सागरोपमका होगा जिस्मे २३ तीर्थकर आदि शलाके पुरुष होगे मोक्षमार्ग बलु होगा शेष अधिकार चोथा आरा कि माफीक समज लेना।