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नवतत्त्व.
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(१०) औषधिके अनेक भेद-शाली व्याली ब्रही गोधम नव जवाजव ज्वारकल मशुर विल मुंग उडद नफा कुलत्थ कागथु आलिंस दूस तीणपली मंथा आयंसी कसुंब कोदर कंगू रालग मास कोद्दसासण सरिसव मूल बीज इत्यादि अनेक प्रकारके धान्य होते हैं वह सब इन औषधिके अन्दर गीने जाते है।
(११) जलरूहा-उत्पलकमल पद्मकमल कौमुदिकमल निलनिकमल शुभकमल सौगन्धीकमल पुंडरिककमल महापुंडरिककमल अरिबिन्दकमल शतपत्रकमल सहस्रपत्र कमल इत्यादि ।
(१२) कुहुणका अनेक प्रकारके है आत कात पात सिघोटीक कच कनड इत्यादि यह वनस्पति मीजलके अन्दर होती है।
इन बारह प्रकारकि प्रत्येक वनस्पतिकायपर दृष्टान्त जेसे सरसवका समुह एकत्र होने से एक लडु बनता है परन्तु उन सरसबके दाने सब अलग अलग अपने अपने स्वरूप में है इसी माफीक प्रत्येक वनस्पतिकायभी असंख्य जीवोंका समुह एकत्र होते है परन्तु एकेका जीवके अलग अलग शरीर अपना अपना भिन्न है जेसे अनेक तीलोंके समुह एकत्र हो तीलपापडी बनती है इसी माफीक एक फल पुष्पमें असंख्यजीव रहते है यह सब अपने अपने अलग अलग शरीर में रहते है जहांतक प्रत्येक वनास्पति हरि रहेती है वहांतक असंख्याते जोवोंके स. मूह एकत्र रहते है जब वह फल पुष्प पक जाते है तब उनोंके अन्दर एक जीव रह जाते है तथा उनके अन्दर बीज हो तो जीतने बीज उतनेही जीव ओर एक जीव फलका मूलगा रहता है इति।
१ ईन धानोंके सिवाय भी केइ अडक धान्य होते हैं जैसे बाजरी मकाइ मार इत्यादि ।