________________
नवतत्त्व.
(८९) इन साधारण ओर प्रत्येक वनस्पतिकों छदमस्थ मनुष्य केसे पेच्छान सके इस वास्ते दृष्टान्त बतलाते है. ___ जीस मूल कन्द स्कन्ध साखा प्रतिसाखा त्वचा प्रवाल पत्र पुष्पफल और बीजकों तोडतें बखत अन्दरसे चिकणास निकले तुटतों सम तुटे उपरकि त्वचा गीरदार हो वह वनस्पति सा. धारण अनंतकाय समजना ओर तुटतों विषम तुटे त्वचा पातली हों अन्दरसे चिकणास न हो उन वनस्पतिकायकों प्रत्येक समझना
सीघोडे कचे होते है उनोंमें संख्याते असंख्याते ओर अनन्ते जीव रहते है इन प्रत्येक और साधारण वनस्पति कायके दो दो भेद है (१) पर्याप्ता (२) अपर्याप्ता एवं बादर एकेन्द्रियका १२ भेद समजना । इति एकेन्द्रियके २२ भेद है
(२) बेइन्द्रियके अनेक भेद है । लट गीडोले कीडे कृमिये कुक्षीकृमि ये पुरा । जलोख लेवों खापरीयो इली रसचलोत अन्न पाणी में रसइये जीव. वा शंख शीप, कोडी चनणा वंसीमुखा सूचीमुखा वाला अलासीया भूनाग अक्ष लालीये जीव ठंडीरोटी विगेरेमें उत्पन्न होते है इनके सिवाय जीभ ओर त्वचावाले जीतने नीव होते है वह सब बेइन्द्रियकि गीनतोमें है।
(३) तेइन्द्रिय के अनेक भेद है-उपपातिका रोहणीया चांचड माकड कीडी मकोडे डंस मंस उदाइ उकाली कष्टहारा पत्राहारा पुष्पाहारा फलाहारा तृणब्रिटीत पुष्प० फल० पत्रविटित जू. लिख. कानखोजुर इली घृतेलीका जो घृतमे पेदा होती है चर्म जु. गौकीटक जो पशुवोंके कानोंमे पेदा होते है । गर्दभ गौशालामै पेदा होते है. गौकीडे गोबरमे पेदा होते है। धान्य. कीडे कुंथु इलीका इन्द्रगोप चतुर्मासामे पेदा होते है. इत्यादि जीसके तीन इन्द्रिय शरीर जीभ नाक हो । वह तेइन्द्रिय है।