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शीघ्रबोध भाग १ लो.
पहला, दुजा, तीजा, और चौथा देवलोकका देवता सबसे स्तोक पूर्व पश्चिममें कारण पुष्पावेकरणीय विमान ज्यादा है. और पंक्तिबंध कम है। उनसे उत्तरमें असंख्यातगुणा कारण पंक्ति बंध विशेष है उनसे दक्षिण में विशेषाः कारण देवता विशेष उपजे.
पांचमा, छठ्ठा, सातमा, आठमा देवलोकका देवता सबसे स्तोक पूर्व, पश्चिम, उत्तर में उनसे दक्षिणमें असं० गु.
नवमासे सर्वार्थसिद्ध विमान तक चारे दिशा में समतुल्य है पहेली नारकीका नेरइया सबसे स्तोक पूर्व, पश्चिम उत्तर में उनसे दक्षिण में असंख्यातगुणा कारण कृष्णपक्षी जीव घणा उपजे इसी माफक साताही नारकी में समझ लेना.
अल्पाबहुत्व - सर्वस्तोक सातवी नरक के पूर्व पश्चिम उत्तरके नैरिया. उनोसे दक्षिणके नैरिये असंख्यातगुणे. सातवी नरकके दक्षिणके नैरिये से छटी नरकके पुर्व पश्चिम उत्तरके नैरिये असं० गु० उनोसे दक्षिणके नैरिये असं० गु० । छटी नरकके दक्षिणके नैरियों से पांचवी नरकके पूर्व पश्चिम उत्तरके नैरिये असं० गु० उनोंसे दक्षिणके नैरिये असं० गु० उनोंसे चोथो नरकके पूर्व पश्चिम उत्तर के नैरिये असं० गु० उनोंसे दक्षिणके नै० असं० गु० उनोंसे तीजी नरकके पूर्व पश्चिम उत्तरके नैरिये असं० गु० उनोंसे दक्षिणसे असं० गु० उनोसे दुजी नरकके पुर्व पश्चिम उत्तरके नैरिये असं० गु० उनोसे दक्षिणके असं० गु० दुजी नरकके दक्षि णके नैरियोंसे पहली नरकके पूर्व पश्चिम उत्तरके नैरिये असं० उनोंसे दक्षिण के नैरिये असं० गुण० इति ।
गु०
सेवं भंते सेवं भंते तमेव सच्चम्
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