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शीघ्रबोध भाग १ लो. प्रसंगोपात पांचवे आरे के धर्म धुरंधर प्राचार्योंकि नाम: (१) श्री सयंप्रभसूरि जैनपोरवाल श्रीमालोंके कर्ता (२) श्री रत्नप्रभसूरि उपलदे राजादि को जैन ओसवाल कीये (३) श्री यक्षदेवसूरि सवालक्ष जैन बनानेशला (४) श्री प्रभवस्वामि सधंभवभट्टके प्रतिबोधक (५) श्री सज्जंभवाचार्य दशवकालक के कर्ता (६) श्रीभद्रबाहुस्वामि नियुक्ति के कर्ता (७) श्री सुहस्ती आचार्य राजा संप्रती प्रतिबोधक (८)श्री उमास्वाति आचार्य पांचसो अन्य के कर्ता (९) श्री श्यामाचार्य श्री प्रज्ञापना सूत्र के कर्ता (१०) श्री सिद्धसेन दीवाकर विक्रमराजा प्रतिबोधक (११) श्री वनस्वामि जिनमन्दिरोंकी आशातना मीटानेवाले (१२) कालकाचार्य शालीवाहन राजा प्रतिबोधक (१३) श्री गन्धहस्ती आचार्य प्रथम टीकाकार (१४) श्री जिनभद्रगणी आचार्य भाष्यकर्ता (१५) श्री देवऋद्धि खमासमण आगम पुस्तकारूढ कर्ता (१६) श्री हरिभद्रसूरि १४४४ ग्रन्थ के कर्ता ( १७ ) श्री देवगुमसूरी निवृत्यादि च्यार माखोंके कर्ता (१८) श्री शीलगुणाचार्य श्री मल्लवादि श्री वृद्धवादी (१९) श्री जिनेश्वरसूरी श्री जिन वल्लभसूरी संघपट्टक कर्ता (२०) श्री जिनदत्तसूरी जैन ओसवाल कर्ता (२१) श्री कक्कसूरी आचार्य अनेक ग्रन्थकर्ता (२२) श्री कलीकाल सर्व श्री हेमचन्द्राचार्य, राजा कुमा
रपाल प्रतिबोधक