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शीघ्र भाग १ लो.
( १५ ) हिंसा धर्म ( यज्ञहोम) के प्ररूपक पाखंडी बहुत होगें (१६) एकेक धर्म अन्दर अनेक अनेक भेद होगे ( १७ ) जीस धर्मके अन्दर से निकलेंगे उसी धर्मकी निंदा करेंगे उपकारके बदले अपकार करेंगे
(१८) मिथ्यात्वीदेव देवीयों बहुत पूजा पायेंगे | उनके उपासकभी बहुत होगें ।
( १९ ) सम्यग्दृष्टि देवोंके दर्शन मनुष्यों कों दुर्लभ होंगे। ( २० ) विद्याधरोंकि विद्यावका प्रभाव कम हो जायगें ( २१ ) गौरस दुध दही घृत) तैल गुड शकर में रस कम होगें ( २२ ) वृषभ गज अश्वादि पशु पक्षीयोंका आयुष्य कम होगा ( २३ ) साधु साध्वीयोंके मासकल्प जेसे क्षेत्र स्वल्प मीलेंगे ( २४ ) साधुकि १२ श्रावककी ११ प्रतिमावका लोप होगें (२५) गुरु अपने शिष्योकों पढाने में संकुचीतता रखेंगे। (२६) शिष्य शिष्यणीयों कलह कदाग्रही होगी । (२७) संघ में क्लेश टंटा पीसाद करनेवाले बहुत होंगे।
( २८ ) आचार्योंकि समाचारी अलग २ होगें अपनि अपनि सचाइ बतलाने के लिये उत्सूत्र बोलेंगे एक दुसरेको झूठा बतलाar aaraaree वेशबिटम्बिक कुलिंगी सन्मार्गसे पतित बनानेवाला बहुत होंगे।
(२९) भद्रीक सरल स्वभावी अदल इन्साफी स्वल्प होंगे वहभी पाखंडीयोंसे सदैव डरते रहेगें ।
(३०) म्लेच्छराजावका राज होर्गे सत्यकी हानि होगी । (३१) हिन्दु या उच्च कूलिन राजा, न्यायीराज स्वरूप होंगे। (३२) अच्छे कूलीन राजा निचलोगोंकि सेवा करेंगे निच कार्य करेंगे।