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छे आरा. (७१) (२३) श्री हिरविजयसूरी पादशाह अकबर प्रतिबोधक।
इत्यादि हजागे आचार्य जो जैनधर्मके स्थंभभूत हो गये है उनोंके प्रभावशाली धर्मोपदेशसे विमलशा, वस्तुपाल, कर्माशा जावडशा भंसाशा धनासा भामाशा सोमासादि अनेक वीरपुत्रोंने जैनधर्मकि प्रभावना करी थी इति ___ पांचवे आरा में कालके प्रभावसे कीतनेक लोग ऐसेभी होंगे और इस आर्यभूमिका वर्णन जो पूर्व महा ऋषियोंने इस माफीक कीया है।
(१) बडे बडे नमर उजडसा या गामडे जेसे हो जायेंगे (२) ग्राम होगा वह श्मसान जेसे हो जायगें (३) उच्च कूलके मनुष्य दास दासीपना करने लग जायगे (४) जनता जिन्होंपर आधार रखें वह प्रधान लाचडीये
होगें मुदाइ मुदायले दोनोंका भक्षण करेंगे (५) प्रजाके पालन करनेवाले राजा यम जेसे होगें (६) उच्च कुलकि ओरते निर्लज हो अत्याचार करेंगी (७) अच्छे खानदानकि ओरतों वैश्या जेसे वेश या नाच
करेंगी निर्लज हों अत्याचार करेंगे (८) पुत्र कुपुत्र हों आपत्त कालमें पिताको छोडके भाग
जावेंगे मारपीट दावा फीरयादि करेंगे (९) शिष्य अविनीत हो गुरु देवोंका अवगुनबाद बोलेंगे (१०) लुओ लंपट दुर्जन लोग कुच्छ समय सुखी होंगे । (११) दुर्भिक्ष दुष्काल बहुत पडेंगें
(१२) सदाचारी सजन लोगं दुःखी होंगे - (१३) ऊंदर सर्प टीडी आदि क्षुद्र जीवोंके उपद्रव होंगे
(१४) ब्राह्मण योगी साधु अर्थ (धन) के लालची होगे