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छे आरा.
( ६९ ) सिद्धार्थ जन्म महोत्सव कीया था उनसमय जिन मन्दिरों में सेंकडो पुजाओं कर अनुक्रमशः ३० वर्ष भगवान् गृहवास मे रहके बाद दिक्षा ग्रहन कर साढ़े बारह वर्ष घोर तपश्चर्या कर के areज्ञान कि प्राप्त कर तीस वर्ष लग भव्य जीवोंका उद्धार कर सर्व ७२ वर्षों का आयुष्य पाल आप मोक्ष में पधार गये उससमय भगवान् गौतम स्वामि को केवलज्ञान उत्पन्न हुवा farar महा महोत्सव इन्द्रादिकने कीया |
चोथा आरामें दुःख ज्यादा और सुख स्वल्प है आरा के अन्तमें मनुष्यों का आयुष्य उत्कृष्ट १२० वर्षका शरीरकी उंचाह - सात हाथकी पांसलीयों १६ धरतीकी सरसाइ मटी जैसी थी एक दिनमें अनेकवार आहारकी इच्छा उत्पन्न होती थी
जब चोथा आरा समाप्त हो पांचवा आरा लगा तब वर्णगन्ध रस स्पर्श संहनन संस्थान के पर्यः व अनंते हीन हुये धरती की सरसाइ मटी जेसो रही ।
पांचवा आरा २१००० वर्षोंका होगा आरा के आदिमें १२० afar मनुष्योंका आयुष्य ७ हाथका शरीर शरीर के छे संहनन छ संस्थान १६ पांसलीयां होगें चोसठ वर्ष केवलज्ञान ( ८ वर्ष alanara १२ सौधर्मस्वामि ४४ जम्बुस्वामि ) पांचवे आरे के मनुष्यों को आहारकी इच्छा अनियमित होगें ।
जम्बु स्वामि मोक्ष जाने पर १० बोलोंका उच्छेद होगा यथापरमावधिज्ञान, मनःपर्यष ज्ञान, केवलज्ञान, परिहार विशुद्धि चारित्र, सूक्ष्मसंपराय चारित्र, यथाख्यात चारित्र, पुलाक लब्धि, आहारक शरीर, क्षायक श्रेणी, जिन कल्पीपना,,