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दिगृहार.
(४७) उनसे पूर्वमें विशेषाः कारण सूर्य चन्द्रका द्वीप पृथ्वीमय है. उनसे पधिममें विशेषाः कारण गौतम द्वीप पृथ्वीमय है. ..
तेउकाय, मनुष्य, और सिद्ध सबसे स्तोक दक्षिण उत्तरम कारण भरतादि क्षेत्र छोटा है. उनसे पूर्व दिशा संख्यातगुणा कारण महाविदेह क्षेत्र बड़ा है. उनसे पश्चिम दिशा विशेषाः कारण सलीलावती विजया १००० जोजनकी ऊंडी है. जिसमें मनुष्य घणा, तेउकाय घणी और सिद्ध भी बहोत होते हैं. __वायुकाय, और व्यंतरदेव सबसे स्तोक पूर्व दिशामें कारण धरती का कठणपणा है. उनसे पधिम दिशा विशेषाःकारण सलीलावती विजया है. उनसे उत्तर दिशा विशेषाः कारण भुवनपतियोंका ३ कोड और ६६ लाख भुषन है. उनसे दक्षिण दिशा विशेषाः कारण भुवनपतिका ४ कोड और ६ लाख भुवन है ( पोलारकी अपेक्षा)
भुवनपति सबसे स्तोक पूर्व पश्चिमम कारण भुवन नहीं है आना जानासे लाधे. उनसे उत्तरमें असंख्यात गुणा कारण ३ कोड और ६६ लाख भुवन है. उनसे दक्षिणमे असंख्यात गुणा कारण ४ क्रोड और ६६ लाख भुवन है. भुवनोम देव ज्यादा है.
जोतीषीदेव सबसे थोडा पूर्व पश्चिममें कारण उत्पन्न होनेका स्थान नहीं है उनसे दक्षिणमे विशेषाः उत्पन्न होनेका स्थान है. उनसे उत्तरमें विशेषाः कारण मानसरोवर तलाव-जम्बुद्वीपकी जगतिसें उत्तरकी तरफ असंख्याता द्वीप समुद्र जावे तब अ. रणावर नामका द्वीप आवे जिसके उत्तरमें ४२००० जोजन जावे तब मानसरोवर तलाव आता है, यह तलाव बडा शोभनीक और वर्णन करने योग्य है, और उसके अंदर बहोतसे मच्छ कच्छ जलचर जोतीषीकों देखके निआणा कर मरके जोतीषी होते हैं इसलिये उत्तरदिशामें जोतीषीदेव ज्यादा है।