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शीघ्रबोध भाग १ लो. 3) तडांगा-१९ जातिके वाजित्रों के दातार. (१) जोयांगा-पूर्य चन्द्रसे भी अधिक ज्योतीके दातार. ( ५ ) दीपांगा-दीपक चराख मणि आदिके प्रकाश (६ चित्तरांगा-पांचवर्ण के सुगन्धी पुष्पोंकि मालावोंके ,,
(७) चित्तरसा अनेक प्रकारके पाक पक्वानके भोजन सुन्दर स्वादिष्ट पौष्टीक मनगमते भोजनके दातार.
(८) मणियांगा-अनेक प्रकारके मणि रत्न मुक्ताफल सु. वर्ण मंडित कमबजन अधिक मूल्य वेसे भूषणोंके दातार ।
(९) गेहगारा-उंचे उंचे शीखरवाला मनोहर प्रासाद भुवन महल शय्या संयुक्त मकानके दातार।।
(१०) अणिमणा-उम्मदा सुकमाल बखोंके दातार ।
यह दश जातिके कल्पवृक्ष युगल मनुष्योंके मनोर्थ पुरण करते थे.
हे गौतम! उन मनुष्योंके उन समय तीन पल्योपमका आयुष्य तीन गाउका शरीर और शरीरके २९६ पासलीयों थी. बन. ऋषभ नाराच संहनन समचतुन संस्थान, उन स्त्री पुरुषोंका रूपजोबन लावण्य चातुर्य सौभाग्य सुन्दरता बहुत ही अच्छी थी, क्रमशः काल बीतने लगा तब उतरते आरे उन मनुष्योंका दो पल्योपमका आयुष्य दो गाउकी अवगाहना शरीरकि पांसलीयों १२८ रही वर्ण, गन्ध, रस, स्पर्शमें अनंतीहोनी होने लगी।भूमिका रस खंडा जेसा रह गया। आराके आदिमे उन युगल मनुष्योंकों तीन ___x दश जातिके कल्पवृक्षोंकों जीवाभिगम सूत्रमें 'बिसेसपरणिया' कहा है जीस्कों कइ आचार्य कहते है कि उन वृक्षों के अधिष्टत देवता है वह युगल मनुष्योंकि इच्छा पुरण करते है केइ कहते है कि युगलीयों के स्वभावी पुन्य होनेसे स्वभावी उनी पदार्थ द्वारा प्रणम जाते है। तस्य केवलिगम्यं ।