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शीघ्रबोध भाग १ लो.
(१३) दृष्टि - तव पदार्थ की श्रद्धा, जिस्के तीन भेद. स. म्यग्दृष्टि, मिथ्यादृष्टि, मिश्रदृष्टि,
(१४) दर्शन - वस्तुका अवलोकन करना जिस्के प्यार भेद चक्षुदर्शन, अचक्षुदर्शन, अवधिदर्शन, केवलदर्शन.
(१५) ज्ञान - तत्ववस्तुको यथार्थ जानना जिस्के पांच भेद है मतिज्ञान, श्रुतिज्ञान, अवधिज्ञान, मनः पर्यवज्ञान, केवळज्ञान । (१६) अज्ञान - वस्तु तस्वको विप्रीत जानना जिस्के तीन भेद हे मतिअज्ञान, श्रुतिअज्ञान, विभंग अज्ञान ।
( १७ ) योग- शुभाशुभ योगोंका व्यापार जिस्का भेद १५ देखो बोल ८ वा । ( पैंतीस बोलोंमें )
(१८) उपयोग - साकारोपयोग ( विशेष ) अनाकारोपयोग ( सामान्य )
(१९) आहार- रोमाहार, कंबलाहार लेते है उन्होंका दो भेद है व्याघात जो लोकके चरम प्रदेशपर जीव आहार लेते हैं उनको कीसी दीशामें अलोककि व्याघात होती है तथा अचर्म प्रदेशपर जीव आहार लेता है वह निर्व्याघात लेता है ।
(२०) उत्पात - एक समय में कोनसे स्थानमें कितने जीव उत्पन्न होते है ।
(२१) स्थिति - एक योनिके अन्दर एक भवमें कितने काल रह सके ।
(२२) मरण - समुद्घात कर तांणवेजाकि माफीक मरे. विगर समुद्गात गोली के वडाकाकी माफीक मरे ।
(२३) चवन - एक समय में कोनसी योनिसे कीतने जीव खवे.
( २४ ) गति आगति - कोनसी गतिसे जाके कील योनिक जीव उत्पन्न होता है और कोनसी योनिसे चवके जीव कोनसी गतिमें जाता है । इति ।