Book Title: Shatkhandagama Pustak 01
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
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सत्प्ररूपणाकी विषय-सूची
चक्रवर्ती और तीर्थंकरका स्वरूप ५७ मंगलाचरण
१-७२ २. नैःश्रेयस-सुख-कथन १ मंगलाचरण टीकाकारकृत
१ ३. प्रकारान्तरसे निमित्त और हेतुका २ सूत्रकारकृत पंच परमेष्ठी नमस्काररूप
कथन मंगलाचरण
८ ७ ग्रंथ-परिमाण ३ मंगल, निमित्त आदि छह अधिकारोंकी ८ ग्रंथ-नाम प्रतिज्ञा
८ ९ कर्ता के भेदोंका निरूपण ४ मंगलका स्वरूप और विवेचन
१. क्षेत्र-विशिष्ट अर्थकर्ता १. नय-निरूपण
२. कालकी अपेक्षा अर्थकर्ता २. नयोंमें निक्षेपोंका अन्तर्भाव
३. भावकी अपेक्षा अर्थकर्ता ३. निक्षेप-निरूपण
४. ग्रंथ-कर्ता ४. मंगल के पर्यायवाची नाम, निरुक्ति ५. अंगधारियों की परम्परा व अनुयोगद्वारोंसे कथन.
६. श्रुतावतार-वर्णन ५. छह दंडकोंद्वारा मंगल-निरूपण ३९ ६. सूत्रके मंगलस्व-अमंगलयका विवेचन ४१
जीवस्थानका अवतार ७२-१३२ ७. अरिहंतका शब्दार्थ और स्वरूप ४२ ८. सिद्धका .. १६१० उपक्रम
७२-८३ ९. अहेत् और सिद्धमें भेदाभेद विवेचन ४६१. आनुपूर्वाक तीन भेद १०. आचार्यका शब्दार्थ और स्वरूप ४८
२. नामके दश भेद ११. उपाध्याय
३. प्रमाणके पांच भेद ,, , ५० १२. साधु १३. आचार्यादि परमेष्ठियोंमें भी देवत्वकी ५. अधिकारके तीन भेद सिद्धि
५२११ निक्षेप-कथन १४. अरिहंतोंको प्रथम नमस्कार कर- १२ नयनिरूपण
८३.९१ नेका प्रयोजन
५३ १. नयके दो भेद ५ निमित्त-कथन
५४ २ द्रव्यार्थिक नयका निरूपण ८३ ६ हेतु-कथन
५५ ३. पर्यायार्थिक नयका निरूपण १. अभ्युदय सुखमें राजा, महाराजा, १३ अनुगम-निरूपण
९१-१३२ मंडलीक, महामंडलीक, नारायण, । १. प्रमाणानुगमके भेदोंका निरूपण ९३
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४. वक्तव्यताके तीन भेद
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