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१, १, ३४. ]
संत पवाणुयोगद्दारे इंदियमगणाप
[ २५१
त्सूक्ष्मजीवानां शरीरमन्यैर्न मूर्तद्रव्यैरभिहन्यते ततो न तत्प्रतिघातः सूक्ष्मकर्मणो विपाकादिति चेन्न, अन्यैरप्रतिहन्यमानत्वेन प्रतिलब्धसूक्ष्मव्यपदेशभाजः सूक्ष्मशरीराद संख्येयगुणहीनस्य चादरकर्मोदयतः प्राप्तबादरव्यपदेशस्य सूक्ष्मत्वं प्रत्यविशेषतोऽप्रतिघाततापत्तेः । अस्तु चेन्न, सूक्ष्मबादरकर्मोदय योरविशेषतापत्तेः । सूक्ष्मशरीरोपादायकः सूक्ष्मकर्मोदयश्वेन, तस्मादप्यसंख्येयगुणहीनस्य बादरकर्मनिर्वर्तितस्य शरीरस्योपलम्भात् । तत्कुतोऽवसीयत इति चेद्वेदनाक्षेत्र विधानसूत्रात् । तद्यथा
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सव्वत्थोवा हुमणिगोदजीव अपजत्तयस्स जहणिया ओगाहणा । सुहुमवाउसुहुमते उ-सुहुम आउ- सुहुमपुढवि - अपजत्तयस्स जहणिया ओगाहणा असंखेजगुणा ।
उत्पन्न करता है । और सूक्ष्म नामकर्मका उदय दूसरे मूर्त पदार्थोंके द्वारा आघात नहीं करने योग्य शरीरको उत्पन्न करता है । यही उन दोनों में भेद है ।
शंका- सूक्ष्म जीवोंका शरीर सूक्ष्म होनेसे ही अन्य मूर्त द्रव्योंके द्वारा आघातको प्राप्त नहीं होता है, इसलिये मूर्त द्रव्यों के साथ प्रतिघातका नहीं होना सूक्ष्म नामकर्मके उदयसे नहीं मानना चाहिये ?
समाधान - नहीं, क्योंकि, ऐसा मानने पर दूसरे मूर्त पदार्थोंके द्वारा आघातको नहीं प्राप्त होनेसे सूक्ष्म संज्ञाको प्राप्त होनेवाले सूक्ष्म शरीरसे असंख्यातगुणी होन अवगाहना वाले, और बादर नामकर्मके उदयसे बादर संज्ञाको प्राप्त होनेवाले बादर शरीरकी सूक्ष्मताके प्रति कोई विशेषता नहीं रह जाती है, अतएव उसका भी मूर्त पदार्थों से प्रतिघात नहीं होगा ऐसी आपत्ति आजायगी ।
शंका- आजाने दो ?
समाधान- नहीं, क्योंकि, ऐसा मानने पर सूक्ष्म और बादर नामकर्मके उदय में फिर कोई विशेषता नहीं रह जायगी ।
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शंका – सूक्ष्म नामकर्मका उदय सूक्ष्म शरीरको उत्पन्न करनेवाला है, इसलिये उन दोनोंके उदयमें भेद है ?
समाधान- नहीं, क्योंकि, सूक्ष्म शरीरसे भी असंख्यातगुणी होन अवगाहनावाले और बादर नामकर्मके उदयसे उत्पन्न हुए बादर शरीरकी उपलब्धि होती है। -यह कैसे जाना ?
शंका
समाधान -- वेदना नामक चौथे खण्डागमके क्षेत्रानुयोगद्वारसंबन्धी निम्न सूत्रोंसे जाना जाता है । वे इसप्रकार हैं
सूक्ष्म निगोदिया लब्ध्यपर्याप्तक जीवकी जघन्य अवगाहना सबसे स्तोक ( थोड़ी ) है। सूक्ष्म वायुकायिक, सूक्ष्म अग्निकायिक, सूक्ष्म जलकायिक और सूक्ष्म पृथिवीकायिक लब्ध्यपर्याप्त जीवोंकी जघन्य अवगाहना सूक्ष्म निगोदिया लब्ध्यपर्याप्तककी जघन्य अवगाहनासे
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