Book Title: Shatkhandagama Pustak 01
Author(s): Pushpadant, Bhutbali, Hiralal Jain, Fulchandra Jain Shastri, Devkinandan, A N Upadhye
Publisher: Jain Sahityoddharak Fund Karyalay Amravati
View full book text
________________
२
१ अ - अमरावतीकी प्रति; आ-आराकी; क - कारंजा की; स- सहारनपूरकी ।
99
चिन्होंसे तात्पर्य यहां उपरके शब्दोंसे नहीं, किन्तु उसी पंक्तिके बाई ओरके शब्दों से समझना चाहिये ।
३. इन प्रतियोंके पाठभेदोंकी दिशा बतलानेके लिये यहां केवल थोड़े से पाठभेद दिये जाते हैं । यथार्थतः ऐसे पाठभेद हैं बहुत ही अधिक ।
पंक्ति
पृष्ठ
१ १ ॐ नमः सिद्धेभ्यः
or or w
१
१
६
29V=
"
७
८
35
९
१२
१३
१३
33
१५
१६
अ
मस्तु
२ केवलि
७. प्रतियोंके पाठ भेद.
२ णमहं
१ - अंगांगजा
33
ॐ गणधरपरमे अथ श्री धवल प्रारम्भः ।
ष्ठिने नमः । ॐ द्वादशाङ्गाय नमः । निर्विघ्न
33
- मल-मूल६ वक्खाणिउ
५ परूवणयं
६ तालफलं व
सुत्तुव
Jain Education International
२ सयलच्छवच्छाणं
सच्छाणं
१ - वायरणे
१ - णिमोणं
२ सद्वादीया
33
साहुपसाहु ७ - लक्खणं खहणो
५ णियतव्वाचय
22
आ
35
-अङ्गङ्गिजा
- मल-गूढ
39
39
""
39
33
33
"3
क
93
33
केवल
"
35
- मल-मूल
39
"3
33
- णिमाणं
- णिमोण
सद्धाइदिया सद्धांदीया
33
33
39
33
33
स
ॐ नमः सि
द्धभ्यः ।
केवल
णमह
33
- मल-मूढवक्खाणउ
परूवयं ण तालफलं व
सुतं व
सयलत्थवत्थूणं सद्दाणं
For Private & Personal Use Only
93
33
33
33
"
मुद्रित
केवल
णमह
- अंगग्गिज्झा
- मल-मूढ
वक्खाणउ
परूवयं ? ण, तालपलंब
सुतं व
23
- वायरणी
- णिमेणं
सादीया
साहपसाहा
-लक्खण खणो णियत वाचय
www.jainelibrary.org