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नियमसार
अत्र कालद्रव्यमन्तरेण पूर्वोक्तद्रव्याण्येव पञ्चास्तिकाया भवंतीत्युक्तम् । इह हि द्वितीयादिप्रदेशरहितः कालः, 'समओ अप्पदेशो' इति वचनात् । अस्य हि द्रव्यत्वमेव इतरेषां पंचानां कायत्वमस्त्येव । बहप्रदेशप्रचयत्वात् कायः । काया इव कायाः । पञ्चास्तिकायाः। अस्तित्वं नाम सत्ता। सा किंविशिष्टा? सप्रतिपक्षाः, अवान्तरसत्ता महासत्तेति । तत्र समस्तवस्तुविस्तरव्यापिनी महासत्ता, प्रतिनियतवस्तुव्यापिनी ह्यवान्तरसत्ता। समस्तव्यापकरूपव्यापिनी महासत्ता, प्रतिनियतैकरूपव्यापिनी ह्यवान्तरसत्ता। अनन्तपर्यायव्यापिनी महासत्ता, प्रतिनियतैकपर्यायव्यापिनी ह्यवान्तरसत्ता । अस्तीत्यस्य भावः अस्तित्वम् । अनेन अस्तित्वेन कायत्वेन सनाथा: पञ्चास्तिकायाः। कालद्रव्यस्यास्तित्वमेव, न कायत्वं, काया इव बहुप्रदेशाभावादिति ।
इस गाथा का भाव टीकाकार मुनिराज पद्मप्रभमलधारिदेव इसप्रकार स्पष्ट करते हैं ह्न
"इस गाथा में यह कहा गया है कि कालद्रव्य को छोड़कर पूर्वोक्त शेष पाँच द्रव्य ही पंचास्तिकाय हैं। कालद्रव्य द्वितीयादि प्रदेशों से रहित है; क्योंकि शास्त्र का ऐसा वचन है कि समओ अप्पदेसोह्न काल अप्रदेशी है। काल को अकेला द्रव्यत्व ही है, शेष द्रव्यों को द्रव्यत्व के साथ-साथ कायत्व भी है। बहुप्रदेशीपने को काय कहते हैं। जिसप्रकार काय (शरीर) बहुप्रदेशी है; उसीप्रकार अस्तिकाय द्रव्य बहुप्रदेशी हैं। अस्तिकाय पाँच हैं। अस्तित्व का नाम ही सत्ता है। सत्ता की क्या विशेषता है ?
वह सत्ता प्रतिपक्ष सहित है। अवान्तर सत्ता और महासत्ता के भेद से सत्ता दो प्रकार की है। दोनों सत्ताओं में रहनेवाला प्रतिपक्षपना इसप्रकार है ह्न १. महासत्ता समस्त वस्तुविचार से व्यापनेवाली है और अवान्तरसत्ता प्रतिनियत वस्तु में व्यापनेवाली है। २. महासत्ता समस्त पदार्थों में व्यापकरूप से व्याप्त होनेवाली है
और अवान्तर-सत्ता प्रतिनियत एकरूप से व्याप्त होनेवाली है। ३. महासत्ता अनन्तपर्यायों में व्याप्त होनेवाली है और अवान्तरसत्ता प्रतिनियत एक पर्याय में व्याप्त होनेवाली है। पदार्थों की अस्ति है ह ऐसा भाव ही अस्तित्व है। उक्त अस्तित्व और कायत्व से सहित पाँच द्रव्य अस्तिकाय हैं।"
गाथा में तो मात्र इतना ही कहा गया है कि बहुप्रदेशी द्रव्यों को अस्तिकाय कहते हैं और कालद्रव्य को छोड़कर शेष पाँच द्रव्य अस्तिकाय हैं; किन्तु टीका में अस्ति का अर्थ करते हुए महासत्ता और अवान्तरसत्ता की न केवल चर्चा की गई है; अपितु उन दोनों में विद्यमान अन्तर को भी स्पष्ट कर दिया गया है।
प्रश्न ह्न यहाँ एक ही पंक्ति में दो बातें एक साथ कही जा रही हैं कि कालद्रव्य अप्रदेशी