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२५. अगम (अगम )
गमन क्रियारहितत्वेनागमम् ।
जो गति नहीं करता, वह अगम / आकाश है ।
२६. अगार ( अगार)
अगाः वृक्षास्तैः कृतत्वाद् आ समन्तात् राजते इति अगारम् । ( आमटी प ४३४ )
२७. अगारत्थ (अगारस्थ )
जो संपूर्ण रूप से काष्ठ निर्मित है, वह अगार / गृह है ।
अगारे चिट्ठतीति अगारत्थो ।
जो अगर / गृह में रहता है, वह अगारस्थ / गृहस्थ है |
२८. अग्गह ( आग्रह )
आङ् मर्यादया ग्रहः स्वीकार आग्रहः ।
२६. अग्गि (अग्नि)
अंगतीत्यग्निः ।
जो ऊर्ध्व गति करती है, वह अग्नि है ।
जो मर्यादित स्वीकरण / अभिनिवेश है, वह आग्रह है ।
१. ' अगार' के अन्य निरुक्त
निरुक्त कोश
(भटी प १४३१ )
२. 'अग्नि' के अन्य निरुक्त
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( आचू पृ ३०१ )
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( बूटी पू १८० )
अग्यतेऽस्मिन्नगारम् अगान् वृक्षानियति वा । ( अचि पृ २१९ )
जिसमें रहा जाता है, वह अगार है । जो वृक्ष से निर्मित है, वह अगार है ।
अगत्यूर्ध्वं याति अग्निः । (अचि पृ २४५ )
जो ऊर्ध्व गति करती है, वह अग्नि है । अग्रणीर्भवति । अग्रं यज्ञेषु प्रणीयते । ( नि ७ /१४) जो यज्ञ में सर्वप्रथम प्रणीत होती है, वह अग्नि है ।
( उच् पू १५२ )
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