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गाथा - ४४
३९१
३९३
गाथा - ४५ गाथा - ४६ गाथा - ४७
३९६
३९८
गाथा - ४८
४००
गाथा - ४९
४०१
प्रदेश सत्कर्मस्थान प्ररूपणा के प्रारम्भ में स्पर्धक का विचार संज्वलनत्रिक के स्पर्धकों का विचार वेदों के स्पर्धकों की संख्या उद्वलन योग्य प्रकृतियों, संज्वलन लोभ, यश:कीर्ति
और छह नोकषायों के स्पर्धक मोहनीयकर्म के सिवाय शेष घातिकर्मों के स्पर्धकों की संख्या शैलेशी अवस्थापन्न प्रकृतियों के तथा शेष अनुदयवती प्रकृतियों के स्पर्धक स्पर्धक कथन का उपसंहार स्थिति अनुभाग प्रदेश, उदय और सत्व स्थानों में भूयस्कर आदि विकल्पों का निर्देश भूयस्कर, अल्पतर अवस्थित अवकृतव्य विकल्पों के स्थान ग्रन्थगत ओघस्वामित्व का मार्गणाओं में विस्तार से कथन करने का संकेत बंधादि के संवेध का विचार करने की सूचना ग्रन्थ का उपसंहार ग्रन्थकार द्वारा अंतमंगल आचार्य मलयगिरि द्वारा व्याख्या का उपसंहार
गाथा - ५० गाथा - ५१
४०३
४०३
गाथा - ५२
०४
गाथा - ५३
४०५
गाधा - ५४ गाथा - ५५, ५६ गाथा - ५७
४०६ ४०६
४०९
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