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जगत्कल्याणकी कसौटी
और एक ही आदमीको कष्ट होगा; परन्तु इस नीतिको हम अच्छा नहीं कह सकते। क्योंकि चोरी करनेकी नीतिसे एक समय और एक जगह भले ही अधिक सुख हो परन्तु अन्य समयमें और अन्य क्षेत्रोंमें दुःखकी वृद्धि बहुत अधिक होगी। जो सर्वत्र और सर्वकालमें अधिकतम प्राणियोंको अधिकतम सुखकारक हो वही नीति ठीक है।
(घ) जो परोपकार परोपकार-बुद्धिसे न किया गया हो वह बहुत ही कम सुखवर्द्धक है। उसका श्रेय कर्ताको बहुत कम मिलता है। ___ एक आदमी यशके लिये परोपकार करता है । यह इस लिये ठीक नहीं है कि जब उसे यशकी आशा न होगी या यशकी चाह न होगी तब वह परोपकार न करेगा । यह सुख-वृद्धिमें बड़ा भारी बाधक है। उसका ध्येय यश है । इस लिये अगर यशके लिये कभी उसे अनुचित कार्य करनेकी आयश्यकता होगी तो वह अनुचित कार्य भी करेगा। इस प्रकार परोपकारका मूल्य तभी हो सकता है जब वह भावपूर्वक किया गया हो।
(ङ) अशुभ भावसे कोई कार्य किया जाय, और उसका फल शुभ हो जाय, तो वह अशुभ ही कहलायगा; इसी तरह शुभ भावसे कोई कार्य किया जाय किन्तु उसका फल अशुभ हो जाय तो वह शुभ ही कहलायगा। क्योंकि भावना अच्छी होनेपर भी बुरा कार्य होना कादाचित्क है । सामान्य नियम यही है कि उससे शुभ कार्य हो, इस लिये शुभ भावना सुखवर्द्धक है। दूसरी बात यह है कि भावनाके अनुसार अगर अच्छे-बुरेका निर्णय न किया जाय, तो अच्छा काम करना अशक्यप्राय हो जायगा। अच्छी भावनासे डॉक्टर