Book Title: Jain Dharm Mimansa 01
Author(s): Darbarilal Satyabhakta
Publisher: Satyashram Vardha

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Page 342
________________ ३२८ इतनेसे आप सत्यसमाजके सदस्य बन सकेंगे । सत्य-समाजकी नियमावली पढ़िये धर्ममीमांसा प्रथम भाग ( मूल्य 1 ) ) पढ़कर सत्य-समाजकी विशेष रूप-रेखा की समझिये, 'सत्यसंदेश ' के ग्राहक बनकर अनेक तरहकी स्वतंत्र - विचारधाराओंक रसास्वादन कीजिये । हमारा सामाजिक जीवन इतना विकृत हो गया है कि वहाँ क्रान्तिकी आवश्य कता है । उसके लिये संगठित होकर आगे बढ़िये । दरबारीलाल सत्यभक्त पुस्तक मिलनेके पते १ हिन्दी - ग्रन्थ-रत्नाकर कार्यालय हीराबाग, गिरगांव, बम्बई २ बांबू फतेहचंद्रजी सेठी, प्रकाशक 'सत्यसंदेश ' सरावगी मोहल्ला, अजमेर ३ प्रकाशक · ४ सत्यसमाजकी शाखाएँ ann ―――

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