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सम्यग्दर्शनका स्वरूप
समाधान — जीव एक आश्चर्यजनक पहेली अवश्य हैं परन्तु इतना निश्चित है कि वह मौतिक पदार्थोंसे एक जुदो ही तत्त्व है । वत्सरीखी भौतिक वस्तु क्या है, अगर हम आज तक यह बात नहीं जान पाये तो आत्मा तो विद्यत्से भी सूक्ष्म और विचित्र है इसेलिये उसके आवागमनके नियम अंगर अनिश्चित भी रहें - हमें इस समस्याको हल न कर पायें - तो भी जीवके पृथक् अस्तित्वको धक्का नहीं लगता । जीवके विषय में जो बात अज्ञेय हैं उसकी खोज करते रहना चाहिये, न कि उसके अनुभव-युक्ति-सिद्ध पृथक् अस्तित्वको नष्ट कर देना चाहिये । दूसरी बात यह हैं कि उपर्युक्त शंकाओंका थोड़ा-बहुत समाधान मिलता हैं । पानीकी एक बूँदमें अगणित जीव रहते हैं। जिन चीजोंके मिश्रणसे अनेक जीव पैदा होते हैं उनमें भी असंख्य जीव रहते हैं । अगणित जीव हर समय मरते और पैदा होते हैं और सर्वत्र जन्म-मरण होता रहता हैं । इसलिये छोटी छोटी योनियों में दूरसे जीव अवें या न आवें उसके लिये वहीं जीव मिल जाते हैं। इसके अतिरिक्त, जीव तुरंत पैदा होते हैं,' यह बात ठीक नहीं हैं। भौतिक सम्मिश्रणके कुछ समय बाद जीव आते हैं। मनुष्य योनिमें किसीके मतसे सात दिनमें और किसीके मत से कुछ महीनों बाद जीव आता है । इस लम्बे कालमें तो दूसरे शरीर में स्थित उच्च श्रेणीके भी बहुतसे जीव मरते हैं । इसके अतिरिक्त नीच श्रेणीका जीव मरकर उच्च श्रेणीमें जा सकता है । इस तरह जीवके आवागमनकी समस्या सामान्य दृष्टिसे हल हो ही जाती है । बाकीके लिये हमें खोज करना चाहिये । उपर्युक्त युक्तियों से इतना निश्चित है कि जीव भौतिक तत्त्वोंसे एक जुदा
हैं।