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जैनधर्म-मीमांसा
घटना म० महावीरके व्यक्तित्वको बढ़ानेवाली भी नहीं है, इसलिये इस असत्य कल्पनाका कोई दूसरा कारण होना चाहिये ।
दो ही कारण समझमें आते हैं। एक तो यह कि म ० कृष्ण के जीवन चरित्रका म० महावीर के जीवन-चरित - लेखकपर प्रभाव पड़ा हो । म० कृष्ण और म० महावीरके जीवन-चरितमें कुछ ऐसी समानताएँ आ गई हैं जो सत्यतासे सम्बन्ध नहीं रखतीं । जैसे कृष्णका गोवर्धन उठाना, और महावीरका मेरुकम्पन, कृष्णद्वारा सर्परूपधारी अघासुरका और अश्वरूपधारी प्रलम्बासुर का वध तथा महावीरद्वारा इन रूपों को धारण करनेवाले देवोंका पराजय । कृष्णद्वारा कालिय-दमन महावीरद्वारा चण्डकौशिक -वशीकरण, कृष्णद्वारा अग्नि-पान पूतनावध, महावीरद्वारा अग्नि-उपसर्ग-सहन, तथा कठपूतना व्यन्तरीका पराजित होना आदि ।
इसी प्रकार यहाँ सम्भव है कि विष्णुके एक अंशका देवकीके गर्भसे रोहिणीके गर्भमें संक्रमण होनेके समान यहाँ भी गर्भापहरण हुआ हो । अथवा दूसरा भी कारण हो सकता है । इस विषयका वर्णन है कि
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जिस समय देवानन्दाका गर्भ अपहरण कर लिया गया उस समय वह चिल्ला उठी कि मेरा गर्भ किसीने हर लिया । ' इस वर्णन से इतना तो मालूम होता है कि उस समय स्त्री- समाजमें यह मिथ्या मान्यता प्रचलित थी कि स्त्रियों का गर्भ हरण किया जाता है । देवानन्दाका गर्भ ८२ दिवसमें किसी कारण गिर गया हो और स्त्री-सुलभ उक्त मान्यता के अनुसार यह प्रसिद्धि हो गई हो कि देवानन्दाका गर्भ किसीने हर लिया है; उधर त्रिसला देवीके गर्भ-वर्णनसे इस घटनाका सम्बन्ध कुछ ठीक