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जैनधर्म-भीमांसा rrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrrr... ... ........... ... ... लेकर गाँवके बाहर चले आये। सबको देखकर उन्होंने कहाक्या तुम लोग मेरा अतिशय देखने आये हो ? तब महावीरने उनको भी बहुत-सी बातें बतलाई । लोग उनके पास अब प्रति दिन आने लगे। ____ एक दिन लोगोंने उसी अच्छन्दककी बात छेड़ी । म० महावीरने कहा-वह बेचारा कुछ नहीं जानता, वह तो पेटके लिये धंधा करता है । लोगोंने यह बात अच्छन्दकसे कही । वह अनेक चालबाजियोंसे महात्माको परास्त करने आया परन्तु जीत न सका। बल्कि उसकी चोरीकी बात महावीरने प्रकट कर दी। एक बात रह गई थी सो महावीरने लोगोंसे कहा कि उसे इसकी स्त्रीसे पूछो । उस दिन उसने अपनी स्त्रीको खूब मारा था । इससे उसने अपने पतिकी व्यभिचार-कथा लोगोंसे कह दी । अब बेचारे अच्छन्दकको रोटियाँ मिलना मुश्किल हो गया । इसलिये वह एकान्तमें आकर महावीरसे बोला कि आप यहाँसे चले जाओ तो अच्छा है, नहीं तो मैं भूखों मर जाऊँगा । क्योंकि जब तक आप यहाँ हैं तब तक मुझे कोई न पूछेगा । म० महावीरने पहले नियम लिया था कि क्लेशकर स्थानमें नहीं रहना, इसलिये वे वहाँसे चले गये।
इस घटनासे यह बात मालुम होती है कि महात्मा महावीर निमित्त-ज्ञानका उपयोग ऐसे लोगोंके हाथसे नहीं होने देना चाहते थे जो दुराचारी या स्वार्थी हैं । इसके लिये उन्होंने जरा कठोरतासे भी काम लिया, जोकि उनके स्वभावके विरुद्ध था। साधकावस्थामें ऐसी बातोंका हो जाना स्वाभाविक है। . यहाँसे विहार करते हुए वे श्वेताम्बी नगरीकी तरफ चले । मार्गमें