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सूत्र
विषय
५३. उन्नत - प्रणत वृक्षों के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण, ५४. ऋजु वक्र वृक्षों के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुभंगों का प्ररूपण,
५८. पुष्प के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के रूप शील संपन्नता के चतुर्थंगों का प्ररूपण, ५९. कच्चे पक्के फल के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण,
५५. पत्तों आदि से युक्त वृक्ष के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण,
५६. पत्र के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भंगों का
प्ररूपण,
५७. कोरक के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण,
६३. मधु विष कुंभ के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुभंगों का प्ररूपण,
६०. उत्तान और गंभीर उदक के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण,
६१. समुद्र के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण,
६२. शंख के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण,
६४. पूर्ण- तुच्छ कुंभ के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण,
६५. मार्ग के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्थंगों का
प्ररूपण,
६६. यान के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के युक्तायुक्त चतुर्भंगों का प्ररूपण,
६७. युग्य के दृष्टांत द्वारा युक्तायुक्त पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण,
६८. युग्य गमन दृष्टांत द्वारा पथोत्पथगामी पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण,
६९. सारथि के दृष्टांत द्वारा योजक- वियोजक पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण,
७०. जाति आदि से वृषभ के दृष्टांत द्वारा युक्तअयुक्त पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण,
७१. आकीर्ण और खलुंक अश्व के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण, ७२. जाति-कुल-बल-रूप और जय संपन्न अश्व के
पृष्ठांक
१३३७-१३३८
७३. अश्व के दृष्टांत द्वारा युक्तायुक्त पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण,
१३३८-१३३९
१३३९
१३३९-१३४०
१३४०
१३४०
१३४०-१३४१
१३४१
१३४१-१३४२
१३४२
१३४३
१३४३-१३४५
१३४५-१३४६
१३४६-१३४७
१३४७-१३४८
१३४८
१३४८- १३४९
१३४९- १३५१
१३५१
दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण, १३५२-१३५४
१३५४-१३५५.
( ३२ )
विषय
सूत्र
७४. हाथी के दृष्टांत द्वारा युक्तायुक्त पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण,
७५. भद्रादि चार प्रकार के हाथियों के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण, ७६. सेना के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण,
७७. पक्षी के दृष्टांत द्वारा स्वर और रूप की विवक्षा से पुरुषों के चतुभंगों का प्ररूपण, ७८. शुद्ध - अशुद्ध वस्त्रों के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्थंगों का प्ररूपण,
७९. पवित्र - अपवित्र वस्त्रों के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण, ८०. चटाई के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण, ८१. मधुसिक्थादि गोलों के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण,
८२. कूटागार के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भंगों
का प्ररूपण,
८३. अंतर - बाह्य व्रण के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भगों का प्ररूपण,
८४. मेघ के चार प्रकार और उनका लक्षण, ८५. मेघ के दृष्टांत द्वारा पुरुषों के चतुर्भंगों का प्ररूपण,
८६. मेघ के दृष्टांत द्वारा माता-पिता के चतुर्भुगों का प्ररूपण,
८७. मेघ के दृष्टांत द्वारा राजा के चतुर्भगों का प्ररूपण,
८८. वातमंडलिका के दृष्टांत द्वारा स्त्रियों के चतुर्विधत्व का प्ररूपण,
८९. धूमशिखा के दृष्टांत द्वारा स्त्रियों के चतुर्विधत्व का प्ररूपण,
९०. अग्निशिखा के दृष्टांत द्वारा स्त्रियों के चतुर्विधत्व का प्ररूपण,
९१. कूटागारशाला के दृष्टांत द्वारा स्त्रियों के चतुर्भगों का प्ररूपण,
९२. स्त्री आदिकों में काष्ठादि के दृष्टांत द्वारा अन्तर के चतुर्विधत्व का प्ररूपण,
पृष्ठांक
९३. भृतकों के चार प्रकार, ९४. प्रसर्पकों के चार प्रकार, ९५. तैराकों के चार प्रकार,
९६. सत्व की विवक्षा से पुरुषों के पाँच भंगों का प्ररूपण,
९७. मनुष्यों के छह प्रकारों का प्ररूपण,
१३५५-१३५६
१३५६-१३५७
१३५७-१३५८
१३५८
१३५८-१३५९
१३५९-१३६०
१३६०-१३६१
१३६१
१३६१
१३६२
१३६२-१३६३
१३६३-१३६४
१३६५
१३६५
१३६५-१३६६
१३६६
१३६६
१३६६
१३६७
१३६७
१३६७
१३६७-१३६८
१३६८ १३६८.