Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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बौद्धाभिमतनिविकल्पकप्रत्यक्षस्य खंडनम् विकल्पकत्वयोः परस्पर विरोधात् । विकल्पवासनापेक्षस्याविकल्पकस्यापि प्रत्यक्षस्य विकल्पोत्पादनसामर्थ्यानि ( वि ) रोधे-अर्थस्यैव तथाविधस्य सोस्तु किमन्तर्गडुना निर्विकल्पकेन ? प्रथाज्ञातोर्थः कथं तजनकोऽतिप्रसङ्गात् ? दर्शनं कथमनिश्चयात्मकमित्यपि समानम् ? तस्यानुभूतिमात्रेण जनकत्वे-क्षणक्षयादौ विकल्पोत्पत्तिप्रसङ्गः । यत्रार्थे दर्शनं विकल्पवासनायाः प्रबोधकं तत्रैव तज्जनकमि
क्यों कहते हो ? यदि कहो कि मनोराज्य अथवा स्वप्न में देखे या मिले हुए साम्राज्य आदि के ज्ञान जैसे स्वलक्षण अर्थात् वस्तु से उत्पन्न नहीं होकर भी वस्तुभूत राज्य का अध्यवसाय करते हैं अर्थात् मानो सच्चा ही राज्य है ऐसा स्वप्न में भान हो जाया करता है वैसे ही नीलादि विकल्प स्वलक्षण से पैदा नहीं होकर भी उसका बोध कराते हैं तो यह बौद्ध का कहना भी गलत है क्योंकि ऐसा दोष तो इन्हीं बौद्ध पर लागु है जो कि मनोराज्यादि के ज्ञान का कारण सत्य राज्य स्वरूप नहीं मानते । हम जैन तो स्वप्न का राज्य हो चाहे मनोराज्य हो उसका कारण सत्य राज्य ही बताते हैं, क्योंकि जागृत दशा का वास्तविक राज्य न हो तो स्वप्न राज्य भी कहां से दिखायी दे सकता है ? मतलब, स्वप्न तो जागृत दशा का अवलम्बन लेकर हुआ करते हैं । इस प्रकार बौद्ध के निर्विकल्प की सिद्धि नहीं होती है।
तथा दूसरी बात यह है कि यह निर्विकल्प दर्शन विकल्प को पैदा नहीं कर सकता है क्योंकि वह स्वयं अविकल्पक है जैसा कि स्वलक्षण है । वह प्रविकल्पक भी रहे और विकल्प उत्पन्न करने की शक्ति भो रखे ऐसी परस्पर विरुद्ध बात बनती नहीं।
बौद्ध - विकल्प की वासना का सहारा लेकर निर्विकल्प, विकल्प को पैदा करने की सामर्थ्य रखता है उसमें कोई विरोध की बात नहीं है।
जैन-यदि ऐसा मानें तो फिर पदार्थ स्वतः ही विकल्प वासना के बल से विकल्प उत्पन्न कर देंगे फिर काहे को अन्तरंग फोड़े की तरह दुःखदायी इस निर्विकल्प को माना जाय जो किसी भी प्रकार से सिद्ध नहीं होता है ।
बौद्ध-पदार्थ तो अज्ञात रहता है वह विकल्प को कैसे उत्पन्न करेगा ?
जैन-तो फिर निर्विकल्प दर्शन स्वतः अनिश्चयात्मक अर्थात अज्ञात होकर विकल्प को कैसे उत्पन्न करेगा ? दोनों जगह समान बात है ।
बौद्ध-अनुभूति मात्र से वह विकल्प को उत्पन्न करता है ।
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