Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
View full book text
________________
५५०
प्रमेयकमलमार्तण्डे
स्वरूप कार्य करने में समर्थ नहीं है अपितु कोई अलक्ष्य, अतीन्द्रिय (इन्द्रियों द्वारा ग्रहण में नहीं आने वाला) स्वरूप शक्ति अवश्य है जिसकी सहायतासे पदार्थ कार्य करने में समर्थ हो जाया करते हैं । अलक्ष्य-अतीन्द्रिय होनेके कारण शक्तिको न माना जाय तो संसार में ऐसे बहुत से पदार्थ हैं कि जिनको पर वादियों ने भी अतीन्द्रिय माना है, अदृष्ट प्रात्मा, ईश्वर आदि पदार्थ अतीन्द्रिय हैं किन्तु उन्हें नैयायिकादि परवादी स्वीकार करते ही हैं, ठीक इसी प्रकार पदर्थों की अतीन्द्रिय शक्तिको भी स्वीकार करना चाहिये इसको स्वीकार करने में कोई बाधा नहीं आती, उलटे नहीं स्वीकार करने में ही अनेक बाधायें आती हैं । इत्यलं विस्तरेण ।
* शक्तिस्वरूपविचार का सारांश समाप्त *
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org