Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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अभावस्य प्रत्यक्षादावन्तर्भावः
५६६ नाप्युभयप्रतिषेधः; प्रागुक्ताशेषदोषानुषङ्गात् ।
किञ्च, इतरेतराभावप्रतिपत्तिपूर्विका घटप्रतिपत्तिः, घटग्रहणपूर्वकत्वं वेतरेतराभावग्रहरणस्य ? पाद्यपक्षेऽन्योन्याश्रयत्वम् ; तथाहि-'इतरेतराभावो घटसंबन्धित्वेनोपलभ्यमानो घटस्य विशेषणं न पदार्थान्तरसम्बन्धित्वेन, अन्यथा सर्व सर्वस्य विशेषणं स्यात् । घटसम्बन्धित्वप्रतिपत्तिश्च घटग्रहणे सत्युपपद्यते । सोपि व्यावृत्त एव पटादिभ्यः प्रतिपत्तव्यः । ततो यावत्पूर्व घटसम्बन्धित्वेन व्यावृत्त रुपलम्भो न स्यान्न तावद्व्यावृत्तिविशिष्टतया घटः प्रत्येतु शक्यः, यावञ्च पटादिव्यावृत्तत्वेन न प्रतिपन्नो घटो न तावत्स्व सम्बन्धित्वेन व्यावृत्ति विशेषयति इति ।
अथ घटग्रहणपूर्वकत्वमितरेत राभावग्रहणस्य; अत्राप्यभावो विशेष्यो घटो विशेषणम् । तद्ग्रहणं च पूर्वमन्वेषणीयम् “नागृहीतविशेषणा विशेष्ये बुद्धिः” [ ] इत्यभिधानात् ।
है, अब इसीका खुलासा करते हैं – इतरेतराभाव जब विवक्षित घट के संबंध रूप से उपलब्ध होगा तभी वह उसका विशेषण बनेगा कि यह इतरेतराभाव इस घट का है, अन्य पदार्थ के संबंध रूप से उपलब्ध होता हुआ इतरेतराभाव उस विवक्षित घटका विशेषण तो बन नहीं सकता; यदि बनता तो सभी सबके विशेषण हो जाना चाहिये, किन्तु ऐसा होता नहीं, तथा यह इतरेतराभाव घट संबंधी है ऐसा ज्ञान भी तभी होगा जबकि घट का ग्रहण होगा, और घट ग्रहण भी तभी होगा कि जब वह पटादि पदार्थों से व्यावृत्त हुआ प्रतीत होगा । इसलिये जब तक इतरेतराभाव की घट के संबंधपने से उपलब्धि नहीं होगी तब तक व्यावृत्ति विशेष से घटका जानना शक्य नहीं होगा, और जब तक यह घट अन्य पट आदि से व्यावृत्त है ऐसा जानना नहीं होगा, तब तक घट संबंधी इतरेतराभाव की विशेषता सिद्ध नहीं होगी।
दूसरापक्ष-घट ग्रहण के बाद इतरेतराभाव ग्रहण होता है ऐसा माने तो अब यहां अभाव विशेष्य बना और घट विशेषण हो गया, अतः घट विशेषरण को पहले जानना जरूरी है क्योंकि "नागृहीत विशेषणा विशेष्ये बुद्धिः" विशेषण के अगृहीत रहने पर विशेष्य का ग्रहण नहीं होता है, ऐसा नियम है । जब घट को पहले ग्रहण करेंगे तो वह पट आदि पदार्थों से व्यावृत्त हुआ ग्रहण में आयेगा कि अव्यावृत्त हुआ ग्रहण में आयेगा ? पट आदि पदार्थों से अव्यावृत्त घट ग्रहण में आता है ऐसा मानो तो उस घट की घट रूपता सिद्ध नहीं होती है । यदि पटादि से व्यावृत्त हुए बिना ही घट की घटरूपता सिद्ध होती है तो पट आदि सभी पदार्थ भी अन्य घट आदि पर
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