Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi

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Page 717
________________ पृ. २ ११ ११ १५ २२ २३ ३८ ३६ ३६ ४३ ४४ ४६ ४७ ५० ५३ ५७ ६६ ७४ ८१ ८८ ६० १०९ १०६ ११७ १२४ १३० १३४ १३४ १३८ १४० Jain Education International पंक्ति १० १६ २३ ११ १६ ३ & १ ११ १६ ३ ११ १२ २१ २० १७ ४ ७ १७ २८ ७ १० १५ ६ ११ ४ ४ १५ १३ १ शुद्धिपत्रम् अशुद्ध प्रभाव उपादान द्वारा हुआ उन उन अच्छा बताईये ग्रास्या नमः तया श्रग्न्येया गधादि साधकतमत्वता योग बनाने जानो घर विशेष तुम कहो विरोधे घर गहिका विकल्पमात्र तद्व विकल्प अर्थात् विकल्प आदि समाभ्राता उसमें विकल सव पदार्थों में पदार्थमाला में क य For Private & Personal Use Only शुद्ध प्रभा उपादेय द्वारा कहा हुआ उन X अस्या नभः तत्र अग्न्यादि गंधादि साधकतमत्वतः योग्य बताने जानेगा घट विशेष कहो विरोधे घट ग्राहका X तद् द्वयं विकल्प्य अर्थात् विकल्प्य आदि समाम्नाता उसके विकलं सर्वे X X कस्य www.jainelibrary.org

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