Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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अभावस्य प्रत्यक्षादावन्तर्भाव: ज्ञापकं नाम" [ ] इति प्रेक्षावद्भिरभ्युपगमात्, अन्यथातिप्रसङ्गः। अक्षादेस्तु कारकत्वादज्ञातस्यापि ज्ञानहेतुत्वाविरोधः । न चास्यापि कारकत्वात्तद्ध'तुत्वाविरोधः; निखिलसामर्थ्यशून्यत्वेनास्य कारकत्वासम्भवादित्युक्तत्वात् । ततोऽयुक्तमुक्तम्
"प्रत्यक्षाद्यवतारश्च भावांशो गृह्यते यदा। व्यापारस्तदनुत्पत्तेरभावांशे जिघृक्षिते ॥"
[ मी० श्लो० अभाव. श्लो० ७ ] इति । द्वितीयपक्षे तु यत्तदन्यज्ञानं तत्प्रत्यक्षमेव, पर्युदासवृत्त्या हि निषेध्याद् घटादेरन्यस्य भूतलादेनिमभावप्रमाणाख्यां प्रतिपद्यमानं तदन्या(न्य)भावलक्षणाभावपरिच्छेदकमिष्टमेव । तृतीयपक्षे तु
अभावप्रमाणका द्वितीयभेद था "तदन्यज्ञान" सो यह ज्ञान तो प्रत्यक्षप्रमाण स्वरूप ही है, देखिये ! पर्युदासवृत्ति द्वारा निषेध्यभूत घटादिसे अन्य भूतल आदि पदार्थका ज्ञान होता है उसे आपने प्रभाव प्रमाण नामसे स्वीकार किया है सो यह तदन्यज्ञान नामा अभावप्रमाण अभावका परिच्छेदक होता ही है किन्तु यह ज्ञान प्रत्यक्षप्रमाण स्वरूप ही है ।
भावार्थ-तत् अन्य ज्ञान अर्थात घटसे अन्य जो भूतल है उसका ज्ञान अभाव प्रमाण कहलाता है ऐसा मीमांसकका कहना है सो यह ज्ञान सर्वथा प्रत्यक्षके कोटीमें जाता है, इसीका खुलासा करते हैं-कोई पुरुष पहले तो घट सहित भू भाग को देखता है फिर कभी घट रहित भू भागको देखता है तो उसे जो घटसे अन्य जो मात्र भू भाग है उसका ज्ञान होता है वह अभावप्रमाण है ऐसी मीमांसक की मान्यता है सो यद्यपि इसमें घटका प्रतिषेध है किन्तु यह पर्युदास प्रतिषेध है अर्थात् घटका अभाव है तो भूभागका सद्भाव है, इसतरहके पर्यु दासात्मक अभावका ग्रहण प्रत्यक्ष प्रमाण द्वारा ही होता है अतः उसे पृथक प्रमाण मानना व्यर्थ है।
तृतीय पक्ष-प्रभावप्रमाण के बताते हुए कहा था कि प्रात्मा का ज्ञानसे विमुक्त होना- तीसरे प्रभावप्रमाणका लक्षण है, इस पर प्रश्न होता है कि आत्मा ज्ञान से निर्मुक्त होता है सो सर्वथा निर्मुक्त होता है कि कथंचित् निर्मुक्त होता है ? सर्वथा कहो तो स्ववचन विरोध आता है जैसा कि "माता में वन्ध्या" मेरी माता वन्ध्या है इसमें स्ववचन विरोध आता है, क्योंकि आत्मा यदि सर्वथा ज्ञान से रहित हुआ है तो वह अभाव को कैसे जानेगा ? जानना तो ज्ञानका धर्म है । यदि प्रात्मा
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