Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे
ननु स्वप्नावस्थायां भेदाभावेऽपि भेदप्रतिभासो दृष्टस्ततो न पारमार्थिको भेदस्तत्प्रतिभासो वा; इत्यभेदेपि समानम् । न खलु तदा विशेषस्यैवाभावो न पुनस्तव्यापकसामान्यस्य ; अन्यथा कूर्मरोमादीनामसत्त्वेपि तद्व्यापकस्य सामान्यस्य सत्त्वप्रसङ्गः । कथं च स्वप्नावस्थायां भेदस्यासत्त्वम् ? बाध्यमानत्वाच्चेत् ; तहि जाग्रदवस्थायां तस्याबाध्यमानत्वात् सत्वमस्तु । एकत्रास्य बाध्यमानत्वोपलम्भात्सर्वत्रासत्त्वे च स्थाण्वादौ पुरुषप्रत्ययस्य बाध्यमानत्वेनासत्यतोपलम्भात् प्रात्मन्यप्यसत्यत्वप्रसङ्ग।। ततो जाग्रदवस्थायां स्वप्नावस्थायां वा यत्र बाधकोदयस्तदसत्यम्, यत्र तु तदभावस्तत्सत्यमभ्युपगन्तव्यम् ।
"ब्रह्मा सृष्टि रचना करता है" यह सिद्ध नहीं होता है, अविद्या को अविद्या तभी नाश कर सकती है जब दोनों सद्भावरूप हों, किन्तु अद्वैतवादी अनेक वस्तुओं को मान नहीं सकते, अतः विष या रज का दृष्टान्त देकर अविद्या का अभाव करना सिद्ध नहीं होता है, इस प्रकार ब्रह्मवादी के अखंड ब्रह्मतत्त्व के स्याद्वादरूपी वज्र के द्वारा सहस्रशः खंड हो जाते हैं ।
शंका-स्वप्न अवस्था में घट पट आदि भिन्न भिन्न वस्तु नहीं रहती है फिर भी भेद दिखाई देता है, इसलिये पदार्थों में भेद और उन भेदों को ग्रहण करने वाला ज्ञान इन दोनों को हम पारमार्थिक नहीं मानते हैं ।
समाधान-इस प्रकार का कथन तो हम अभेद के विषय में भी कर सकते हैं । अर्थात् कहीं स्वप्नावस्था में अभेद दिखाई देता है, अतः अभेद वास्तविक नहीं है, स्वप्नावस्था में विशेष अर्थात् - भेद का ही अभाव है ऐसी तो बात नहीं है, वहां तो उस विशेष रूप भेद-व्याप्य का व्यापक जो सामान्य अभेद है उसका भी अभाव है, यदि विशेष के अभाव में सामान्य का अभाव नहीं माना जायगा तो बड़ा भारी दोष आवेगा, देखिये-कछुवे में रोम ( केशों) का प्रभाव होनेपर भी उसका व्यापक रोमत्व सामान्य वहां है ऐसा कहना पड़ेगा, स्वप्न अवस्था में भेद का अभाव है यह कैसे जाना जाता है यह आप अद्वैतवादी को बताना चाहिये- यदि कहो कि स्वप्न का भेद बाधित होता है अत: उसे अभावरूप मानते हैं, तब तो जाग्रत अवस्था में दिखाई देनेवाला भेद अबाधित होने से सत्य मान लीजिये, मात्र स्वप्नावस्था में भेद बाधित होने से सब जगह उसका अभाव करोगे तो ठीक नहीं होगा। फिर तो क्व
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