Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रमेयकमलमार्तण्डे
तत्तथैवाभ्युपगन्तव्यम् यथा नीलं नीलतया, प्रतिभासते चाध्यक्षादि प्रमाणं सामान्यविशेषात्मार्थविषयतयेति । विषय करते हुए प्रतीत होते हैं अतः उन्हें वैसा ही स्वीकार करना चाहिये इसतरह सामान्य और विशेष दोनों पृथक् दो पदार्थ हैं और उनको जाननेवाले ज्ञान भी दो [ प्रत्यक्ष और अनुमान ] प्रकारके हैं ऐसा बौद्धका कहना खंडित हो जाता है ।
. * समाप्त * प्रमेयद्वित्वसे प्रमाणद्वित्वको मानने वाले बौद्ध के खंडनका सारांश
बौद्ध लोग प्रत्यक्ष और अनुमान दो प्रमाण मानते हैं प्रत्यक्ष का विषय विशेष, [स्वलक्षण] माना है और अनुमानका विषय सामान्य माना है, उनका कहना है कि विषय भिन्न भिन्न होनेके [ अर्थात् वस्तु दो तरह की होनेके ] कारण ही दो प्रमाण हैं । किन्तु यह कथन बिलकुल असत्य है प्रमेय दो तरहका है ही नहीं । प्रत्यक्ष हो चाहे अनुमान हो दोनों प्रमाण सामान्य और विशेष को जानते हैं एक एक को नहीं हम बौद्ध से पूछते हैं कि दो तरह का प्रमेय है इस बातको कौन जानता है, प्रत्यक्ष या अनुमान ? तुम कहो कि प्रत्यक्ष प्रमाण प्रमेयद्वित्व को जानता है सो कैसे बने ? जब कि प्रत्यक्ष का विषय एक विशेष ही है, सामान्य नहीं, तो वह दोनों को कैसे जाने ? अनुमान कहो तो वही बात, क्योंकि वह भी सिर्फ सामान्य को ही जानता है विशेषको नहीं अत: दोनों ही एक एक को जाननेवाले होनेसे प्रमेय दो तरहका है यह बात व्यवस्थापक प्रमाणके अभावमें प्रसिद्ध ही रहेगी। यदि प्रत्यक्ष या अनुमान में से कोई भी एक प्रमाण दोनों प्रमेयोंको जानेंगे तब तो बहुत भारी आपत्ति आप बौद्ध पर पा पड़ेगी, अर्थात् प्रमेयद्वित्व को प्रत्यक्ष अथवा अनुमान जानता है तो विषय संकर हुआ क्योंकि दोनोंके विषयको एकने जाना, तथा सामान्य विषयको प्रत्यक्ष ने जाना अतः वह सविकल्पक हो गया क्योंकि आपने सामान्य विषय वाले ज्ञानको सविकल्पक रूपसे स्वीकार किया है। तथा प्रमेय दो है अतः प्रमाण भी दो प्रकार है, यह सिद्धांत भी गलत हो जाता है । अतः बौद्ध को अंतरंग वस्तु जीव और बहिरंग वस्तु जड़ पदार्थ इन दोनों को भी सामान्य विशेषात्मक मानना चाहिये, तथा इन दोनोंका ज्ञानभी दोनों अनुमान तथा प्रत्यक्षके द्वारा होता है ऐसा स्वीकार करना चाहिये ।
प्रमेयद्वित्व से प्रमाणद्वित्व को माननेवाले बौद्ध के खंडनका सारांश समाप्त हुआ ।
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