Book Title: Pramey Kamal Marttand Part 1
Author(s): Prabhachandracharya, Jinmati Mata
Publisher: Lala Mussaddilal Jain Charitable Trust Delhi
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प्रामाण्यवाद.
४११ तस्य प्रतिबन्धबलेनोत्पत्त्यभ्युपगमात् । प्रतिबन्धश्चेन्द्रियगुणैः सह लिङ्गस्य प्रत्यक्षेण गृह्यत, अनुमानेन वा । न तावत्प्रत्यक्षेण, गुणाग्रहणे तत्सम्बन्धग्रहणविरोधात् । नाप्यनुमानेन, अस्यापि गृहीत. सम्बन्धलिङ्गप्रभवत्वात् । तत्राप्यनुमानान्तरेण सम्बन्धग्रहणेऽनवस्था । प्रथमानुमानेनान्योन्याश्रयः । अप्रतिपन्नसम्बन्धप्रभवं चानुमान न प्रमाणमतिप्रसङ्गात् ।
को ग्रहण नहीं करता इसलिये वह अतीन्द्रिय गुणों को जान नहीं सकता । अनुमान प्रमाण से भी गुणों का ग्रहण होना कठिन है, क्योंकि अनुमान के लिये तो अविनाभावी लिङ्ग चाहिये, तभी अनुमान प्रवृत्त हो सकता है । इन्द्रियों के गुणों के साथ प्रामाण्यरूप हेतु का अविनाभाव है, यह किसके द्वारा ग्रहण किया जायगा ? अनुमान द्वारा या प्रत्यक्ष द्वारा ? यदि कहो कि प्रत्यक्ष के द्वारा ग्रहण होता है सो उसके द्वारा अविनाभाव का ग्रहण होना अशक्य है, क्योंकि जब गुणों का ही प्रत्यक्ष के द्वारा ग्रहण नहीं होता है तब गुणों का और प्रामाण्य का अविनाभावी संबंध है यह ग्रहण कैसे हो सकता है, अर्थात् नहीं हो सकता । गुणों का प्रामाण्य के साथ जो अविनाभाव है उसे अनुमान के द्वारा जान लिया जायगा, ऐसा कहा जाय तो वह भी ठीक नहीं, क्योंकि यह अनुमान भी अपने अविनाभावी हेतु का ग्रहण होनेपर ही प्रवृत्त होता है, अब यदि इस दूसरे अनुमान के अविनाभावी हेतुको जाननेके लिये अनुमानान्तर को लाया जायगा तो अनवस्था स्पष्टरूपसे दिखायी देती है ।
प्रथम अनुमान द्वारा ही द्वितीय अनुमान [प्रथम अनुमान इन्द्रिय गुण और प्रामाण्यके अविनाभावका ग्राहक है और द्वितीय अनुमान उस प्रथम अनुमानका जो हेतु है उसके साध्याविनाभावित्वका ग्राहक है] के हेतुका अविनाभाव जाना जाता है ऐसा कहा जाय तो इस कथन में अन्योन्याश्रय दोष पाता है ।
यदि-इस अन्योन्याश्रयदोष को हटाने के लिये कहा जाय कि विना अविनाभाव संबंधवाला अनुमान ही इन दोनों के संबंधको ग्रहण कर लेगा-सो ऐसा कहना ठीक नहीं है, क्योंकि अविनाभाव संबंध रहित अनुमान वास्तविक रूप से प्रमाणभूत नहीं माना जाता है । यदि वह अनुमान भी वास्तविकरूप से प्रमाणभूत माना जावे तो हर कोई भी यद्वा तद्वा अनुमान प्रमाणभूत मानना पड़ेगा इस तरह "गर्भस्थोर मैत्रीतनयः श्यामः तत्पुत्रत्वात्" गर्भ में स्थित मैत्री का पुत्र काला होगा, क्योंकि वह मैत्री का पुत्र है, जैसे उसके और पुत्र काले हैं, इत्यादि झूठे अनुमान भी वास्तविक
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