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यदि हमें खड़े रहना है और हमें पानी को अपने से ही ठहरने देना है फिर क्यों हैं ये सारे सक्रिय ध्यान ?
यदि तुम बैठ सकते, तो कोई जरूरत न होती किसी ध्यान की। जापान में ध्यान के लिए उनके पास एक शब्द है- 'झा झेन'। इसका अर्थ होता है, मात्र बैठना, कुछ नहीं करना। यदि तुम बैठ कुछ हुए तो यही ध्यान का परम सत्य है। किसी दूसरी चीज की कोई जरूरत नहीं है।
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लेकिन क्या तुम बैठ सकते हो? सारी समस्या का मर्म यही है क्या तुम बैठ सकते हो? क्या तुम बैठ भर सकते हो कुछ न करते हुए? यदि ऐसा संभव होता, केवल बैठ जाना और कुछ न करना, तो हर चीज ठहर गयी होती अपने से ही हर चीज बहने लगती अपने से ही तुम्हें आवश्यकता नहीं है कुछ करने की। लेकिन समस्या यही है- क्या तुम बैठ सकते हो ?
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ऐसा
हुआ कि एक गांव के निकट एक छोटी-सी पहाड़ी पर एक आदमी खड़ा था। सुबह हुई ही थी और सूर्य उदित हो चुका था। तीन आदमी चले ही थे सुबह की सैर के लिए और उन्होंने देखा था उस आदमी की ओर। और जैसे कि मन चलते हैं, वे बातें करने लगे इस बारे में कि यह आदमी वहां कर क्या रहा है। एक आदमी ने सुझाया कि वह वहां जरूर अपनी गाय खोज रहा होगा। 'कई बार उसकी गाय खो जाती है। तब वह पहाड़ी की चोटी पर जा पहुंचता है और उसे ढूंढता है, वहां से वह देखता है सब ओर। 'दूसरा आदमी कहने लगा, 'लेकिन वह सब ओर नहीं देख रहा है। वह तो बस खड़ा हुआ है, इसलिए यह कारण नहीं हो सकता है। मुझे लगता है वह जरूर सुबह की सैर के लिए आया होगा किसी मित्र के साथ, और मित्र पीछे छूट गया है, अतः वह प्रतीक्षा कर रहा है उसकी तीसरे आदमी ने कहा, 'सही बात यह नहीं है क्योंकि यदि तुम प्रतीक्षा कर रहे होते हो किसी की, तो कई बार तुम देखते हो पीछे की तरफ वह तो बिलकुल देख ही नहीं रहा है पीछे मेरा विचार है कि वह ध्यान कर रहा है और जरा देखो तो उसके कपड़ों की ओर वह संन्यासी है। वह जरूर ध्यान कर रहा है। उनकी बहस इतनी उत्तेजित हो गयी कि वे कह उठे, ' अब हमें जाना ही होगा पहाड़ी की चोटी तक और इसी आदमी से ही पूछना होगा कि वह कर क्या रहा है वहां ।
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मीलों चलकर वे पहाड़ की चोटी तक पहुंचे। पहले आदमी ने पूछा, क्या कर रहे हो तुम यहां? मैं सोचता हूं तुमने अपनी गाय खो दी है और तुम खोज रहे हो उसे। उस व्यक्ति ने अपनी आंखें खोलीं और वह बोला, 'नहीं। 'दूसरा व्यक्ति एक कदम आगे आया और पूछने लगा, 'तो जरूर मैं सही होऊंगा । क्या तुम उस किसी का इंतजार कर रहे हो जो पीछे रह गया है?' वह बोला, 'नहीं तब तीसरा खुश हो गया। वह कहने जगा, 'तो मैं बिलकुल सही था। क्या तुम ध्यान कर रहे हो?' वह आदमी बोला,