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प्राइमल थैरेपी में, उसे पीछे फेंक देना पड़ता है वह व्यक्ति जो भयभीत है स्त्रियों से दर्शाता है कि
उसका मां के साथ कोई ऐसा अनुभव रहा होगा जिसके कारण भय बना, क्योंकि मां होती है पहली स्त्री । तुम्हारी सारी जिंदगी में तुम्हारा शायद बहुत सी स्त्रियों के साथ संबंध जुड़े - पत्नी के रूप में, प्रेमिका के रूप में, पुत्री के रूप में, मित्र के रूप में, लेकिन मां की छवि बनी रहेगी। वह तुम्हारा पहला अनुभव है स्त्रियों के साथ संबंध का तुम्हारा सारा ढांचा उसी नींव पर आधारित होगा, और वह नींव है तुम्हारी मां के साथ तुम्हारा संबंध । इसलिए यदि कोई व्यक्ति भयभीत होता है स्त्रियों से, तो उसे पीछे ले जाना होता है, उसे पीछे कदम रखना पड़ता है स्मृति में उसे पीछे लौटना पड़ता है और पता लगाना होता है उस मूल स्रोत का जहां से कि भय प्रारंभ हुआ। वह शायद कोई साधारण घटना रही हो, बहुत छोटी। वह शायद बिलकुल भूल चुका हो उसे यदि वह पीछे जाता है तो वह कहीं न कहीं घाव ढूंढ लेगा।
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तुम चाहते थे मां तुम्हें प्रेम करे, जैसा कि हर बच्चा चाहता है। लेकिन मां को कोई दिलचस्पी न थी। वह एक व्यस्त स्त्री थी । उसे भाग लेना था बहुत संस्थानों में, क्लबों में, इसमें और उसमें वह तुम्हें दूध पिलाने को राजी न थी क्योंकि वह चाहती थी बहुत अनुपातमय शरीर। वह अपने स्तन जवान बनाए रखना चाहती थी। और तुम्हारे द्वारा नष्ट नहीं होने देना चाहती थी। इसलिए तुम्हें स्तन का दूध देने से इनकार करती थी, या उसके दिमाग में और दूसरी समस्याएं रही होंगी। तुम स्वीकृत बच्चे न थे, बोझ की भाति तुम आए पहली बात तो यह कि तुम्हारी कभी आवश्यकता ही न थी। लेकिन गोली ने काम किया नहीं और तुम पैदा हो गए। या वह घृणा करती थी पति से कैर तुम्हारा चेहरा पति जैसा था – एक गहरी घृणा, या थी कोई न कोई और बात लेकिन तुम्हें पीछे जाना पड़ता है और तुम्हें फिर से बच्चा बनना पड़ता है।
ध्यान रहे, जीवन की कोई अवस्था कभी गुम नहीं होती । तुम्हारा वह बच्चे का रूप अभी भी भीतर है। ऐसा नहीं है कि बच्चा युवा हो जाता है, नहीं। बच्चा भीतर बना रहता है, युवा उस पर आरोपित हो गया होता है, फिर वृद्ध ऊपर से और आरोपित हो जाता है युवा व्यक्ति पर, पर्त -दर-पर्त। बच्चा कभी नहीं बनता युवा व्यक्ति बच्चा मौजूद रहता है, युवा व्यक्ति की पर्त उसके ऊपर आ जाती है। युवा व्यक्ति कभी नहीं होता का, एक और पर्त वृद्धावस्था की, उसके ऊपर आ जाती है। तुम प्याज की भाति बन जाते बहुत सारी पर्तें और यदि तुम उसमें उतरो तो सारी पर्तें अभी भी वहां मौजूद होती हैं, संपूर्ण रूप से।
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प्राइमल थैरेपी में जैनोव लोगों की मदद करता है पीछे लौटने में और फिर से बच्चे बन जाने में।
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वे हाथ पैर मारते, वे चिल्लाते, वे रोते, वे चीखते, और वह चीख अब वर्तमान की नहीं होती। बिलकुल अभी वह व्यक्ति से संबंधित नहीं होती, वह संबंध रखती है उस बच्चे से जो पीछे छिपा हुआ है जब वह चीख, वह आदिम चीख आती है तो बहुत सारी चीजें तुरंत रूपांतरित हो जाती हैं।
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