________________
उन्हें कैदी। वे जीएंगे वहां, वे जीएंगे वहां जागरूकता सहित। यदि तुम होते हो संपूर्ण जागरण में तो तुम सदा ही होते हो मोक्ष में, सदा ही जीते हो स्वतंत्रता में। जागरूकता है स्वतंत्रता, अजागरूकता है बंधन।
जब तक जड़ें बनी रहती हैं पुनर्जन्म से कर्म की पूर्ति होती है- गुणवत्ता जीवन के विस्तार और अनुभवों के ढंग द्वारा।
यदि तुम बनाए रहते हो कर्म के बीजों को तो उन बीजों की पूर्ति होगी फिर-फिर लाखों तरीकों से। तुम फिर पा लोगे स्थितियों को और अवसरों को जहां कि तुम्हारे कर्मों की परिपूर्ति हो सकती है।
उदाहरण के लिए, तुम्हारे पास शायद बड़ी धन-संपति हो, शायद तुम धनी व्यक्ति होओ। तुम धनवान हो सकते हो लेकिन तुम कंजूस हो और तुम जीते हो दरिद्र व्यक्ति का जीवन-यह है कर्म। पिछले जन्मों में तुम जीए हो दरिद्र व्यक्ति की भांति। अब तुम्हारे पास धन -दौलत है लेकिन तुम जी नहीं सकते उस दौलत को। तुम ढूंढ लोगे तर्कपूर्ण उत्तर। तुम सोचोगे कि सारा संसार दरिद्र है इसलिए तम्हें जीना ही है एक दरिद्र जीवन। लेकिन तम गरीब को नहीं दे दोगे तम्हारी दौलत. तम जीयोगे गरीब का जीवन, और धन पड़ा रहेगा बैंक में। या, तुम सोच सकते कि गरीबी की जिंदगी ही होती है धार्मिक जिंदगी, इसलिए तुम्हें जीनी ही है गरीबी की जिंदगी। यह कर्म होता है; दरिद्रता का एक बीज। तुम्हारे पास शायद धन -दौलत हो, लेकिन तो भी तुम उसे जी न सको; बीज बना रहेगा।
तुम शायद भिखारी हो और तुम जी सकते हो समृद्ध जीवन। तुम भिखारी हो सकते हो, और कई बार भिखारी ज्यादा समृद्ध होते हैं धनवान लोगों से। वे स्वतंत्रतापूर्वक जीते हैं। वे इसकी चिंता नहीं करते कि क्या घटने को है। खोने को उनके पास कुछ होता नहीं, इसलिए जो कुछ भी उनके पास होता है, वे आनंदित होते हैं उससे। जितना है उससे कम तो नहीं हो सकता, इसलिए वे आनंद मनाते हैं। एक गरीब आदमी समृद्ध जीवन जीता है यदि वह समृद्ध जीवन के बीज साथ लिए रहता हो, और वे बीज सदा ढूंढ लेंगे संभावनाओं को, पूरा करने वाले अवसरों को। जहां कहीं तुम हो, उससे कुछ अंतर न पड़ेगा। तुम्हें जीना होगा तुम्हारे अतीत द्वारा।
पुण्य लाता है सुख: अपुण्य लाता है दुःख।
यदि तुमने पुण्य कर्म किए होते हैं, अच्छे कार्य किए होते हैं, तो तुम्हारे आसपास ज्यादा सुख होगा। तुम्हारे आसपास कुछ भी न हो, जीवन के प्रति एक सुखद दृष्टिकोण तो होगा, एक प्रीतिकर संभावना।