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नरक में से स्वर्ग नहीं जन्मता । यदि तुम आज दुखी हो, तो तुम कैसे सोचते हो कि कल सुखी और आनंदपूर्ण हो सकता है? कल तुमसे ही आएगा और कहा से आ सकता है वह गुर कल किसी आकाश में से नहीं आता, तुम्हारा कल आता है तुमसे ही। तुम्हारे सारे बीते हुए कल एक साथ मिल कर, आज को मिला कर होने वाला है तुम्हारा आने वाला कल यह तो सीधा-साफ गणित है. आज तुम दुखी और पीड़ित हो; तो कैसे, यह कैसे संभव है कि कल सुख और आनंदपूर्णता की होगी? असंभव बात है। जब तक तुम मर नहीं जाते, ऐसा असंभव है। क्योंकि तुम्हारी मृत्यु के साथ सारे बीते कल मर जाते हैं। तब यह बात तुम्हारे दुखों से न आयी होगी; तब यह एक ताजी घटना होगी, कोई ऐसी बात जो कि पहली बार घटती है तब यह तुम्हारे मन से नहीं आएगी, यह आएगी तुम्हारी अंतस सत्ता से तुम बन जाते हो दविज, दो बार जन्मते हो।
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दुख की घटना को समझने की कोशिश करना क्यों हो तुम इतने दुखी? कौन सी चीज निर्मित करती है इतना ज्यादा दुख? मैं ध्यान से देखता हूं तुम्हें, मैं झांकता हूं तुम्हारे भीतर, दुख के ऊपर दुख है, पर्त -दर-पर्त। यह तो सचमुच एक चमत्कार है कि कैसे तुम जीए जा रहे हो। जरूर यही बात रही होगी कि आशा अनुभव से ज्यादा मजबूत है स्वप्न ज्यादा शक्तिशाली है वास्तविकता से । अन्यथा, कैसे जीए जा सकते थे तुम? तुम्हारे पास जीने को कुछ नहीं सिवाय इस आशा के कि कल किसी न किसी तरह कोई चीज घटित होगी जो हर चीज बदल देगी। आने वाला कल एक चमत्कार है - और यही बात तुम सोच रहे हो बहुत - बहुत जन्मों से लाखों कल आए, जो आज बन गए, लेकिन आशा बची रहती है। फिर आशा जीए जाती है। तुम इसलिए नहीं जीते कि तुम्हारे पास जीवन है, बल्कि इसलिए कि तुम्हारे पास आशा है।
उमर खय्याम कहीं कहता है कि उसने बड़े विद्वानों, धर्मज्ञों, पंडित-पुरोहितों, दार्शनिकों से पूछा, क्यों आदमी जीए ही चला जाता है?' कोई नहीं दे सका जवाब । सब ने कंधे उचका दिए, टाल गए बात । कहता है उमर खय्याम कि मैं बहुतों के पास गया जो अपने ज्ञान के लिए विख्यात थे, लेकिन मुझे द्वार से वापस ही लौट आना पड़ा था। तब निराश होकर न जानते हुए कि किससे पूछना है, मैं एक रात आकाश को देख-देख खूब रोया। मैंने पूछा आकाश से, मैंने कहा आकाश से कि तुम तो यहां मौजूद रहे हो! तुमने देखी हैं वे सारी पीड़ाएं जिनका कि अस्तित्व रहा है अतीत में, लाखों लाखों पीड़ित रहे हैं यहां। तुम जरूर जानते होओगे कि क्यों लोग जीए ही चले जाते हैं!' वाणी उतरी आ से, 'आशा के कारण।'
आशा है तुम्हारा एकमात्र जीवन । आशा के धागे सहित तुम सह सकते हो सारे दुखों को। स्वर्ग के एक सपने सहित ही तुम भूल जाते हो तुम्हारे चारों ओर के नरक को। तुम जीते हो स्वप्नों में, स्वप्न जीवित रखते हैं तुमको यथार्थ असुंदर होता है क्यों घटता है इतना ज्यादा दुख और तुम क्यों नहीं जान सकते कि क्यों घट रहा होता है वह? तुम क्यों नहीं ढूंढ सकते उसका कारण ?