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इसी तरह चलती चली जाती है कथा। सातवें में बैल कहीं पार चला गया है, नहीं है, और आठवें में बैल
और: बैल का मालिक दोनों ही खो गए हैं। नौवें चित्र में संसार फिर से प्रकट हो रहा होता है : वृक्ष, पर्वत, फूल, लेकिन तुम नहीं देख सकते बैल को या बैल के मालिक को। दसवें चित्र में बैल का मालिक फिर आ गया है और वह खड़ा है बाजार में। न ही केवल खड़ा है बाजार में, बल्कि वह पकड़े हुए है मदिरा की बोतल।
पुराने दिनों में केवल आठ चित्रों का अस्तित्व था। आठवा चित्र खाली है; कुछ भी नहीं है वहां। वह ध्यान का उच्चतम शिखर है, जहां हर चीज खो जाती है –खोजने वाला और खोज, हर चीज खो जाती है, होती है केवल शून्यता। लेकिन फिर एक बड़े झेन गुरु को लगा कि यह बात तो अधूरी है।
वर्तुल पूरा नहीं हुआ आना ही होगा वापस संसार में। पर्वत अच्छे होते हैं, लेकिन वर्तुल अपूर्ण रहता है यदि तुम पर्वतों में ही रह गए होते हो। तुम्हें आना ही होगा बाजार में। उसने दो चित्र और जोड़ दिए, और मुझे लगता है कि उसने बहुत ठीक किया। अब वर्तुल पूरा हुआ। तुम शुरू करते हो बाजार से और तुम लौट आते हो बाजार में। बाजार वही है, लेकिन तुम वही न रहे। लौट कर आना ही होता है यहां तक।
ऐसा है सदा ही। महावीर छोड़ गए-बारह वर्षों तक वे पर्वतों में, जंगलों में रह कर मौन में रहे। फिर अचानक एक दिन वे लौट आए बाजार में। बुद्ध चले गए थे-छ वर्षों तक वे रहे एकांत में। फिर एक दिन अचानक वे खड़े थे बाजार में और लोगों को इकट्ठा कर रहे थे, यह समझाने को कि उन्हें क्या हुआ है। जीसस पर्वतों में रहे चालीस दिन तक। लेकिन कैसे तुम सदा के लिए ही रह सकते हो पर्वतों में? –वर्तुल तो अपूर्ण रहेगा। जो कुछ भी तुम उपलब्ध करते हो पर्वतों में, वह वापस देना होता है बाजार में।
पहली बात है बाजार के प्रति विरोध मत का लेना। सारा संसार एक बाजार है। विद्वेष, विरोध अच्छा नहीं होता। और कॉर्नफ्लेक्स का डिब्बा होने में बुराई क्या है? कॉर्नफ्लेक्स बहुत अच्छे होते हैं। उनमें उतनी ही संभावना होती है बदधत्व की जितनी कि तममें।
मैं कहूंगा तुमसे कुछ दिलचस्प कथाएं। एक झेन गुरु, लिंची तौल रहा था फ्लैक्स (अलसी)। जब वह तौल रहा था फ्लैक्स तो एक साधक आ पहुंचा और पूछने लगा, 'मैं जल्दी में हूं और मैं प्रतीक्षा नहीं कर सकता, लेकिन एक बात पूछनी है मुझे। बुद्धत्व क्या होता है?' गुरु ने तो उस साधक की ओर देखा तक भी नहीं, उसने तौलना जारी रखा और बोला, 'एक पाउंड फ्लैक्स।' यह बात एक संकेत-सूत्र ही बन गयी है झेन में-एक पाउंड फ्लैक्स। तो एक पाउंड कॉर्नफ्लेक्स क्यों नहीं?