Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 02
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

View full book text
Previous | Next

Page 411
________________ अस्वीकृति चाहिए। आज रात मुझे जरूरत है भूख की, खतरे की । अन्यथा, वह क्यों देता मुझे यह सब ? जरूरत होगी। इसकी जरूरत है और मुझे अनुगृहीत होना ही होगा। वह इतनी सुंदरता से मेरी जरूरतों की देख- भाल करता है। वह सचमुच अपूर्व है!' यही होता है दृष्टिकोण जो कि संबंधित नहीं होता स्थिति से। स्थिति प्रासंगिक नहीं होती। उत्सव मनाओ र जो कुछ भी हो स्थिति । यदि तुम उदास होते हो, तो उत्सव मनाओ इसलिए कि तुम उदास हो। आजमाओ इसे जरा इसे आजमाना और तुम हैरान होओगे-बात घटित हो जाती है। तुम उदास हो? – तो नृत्य करना शुरू कर देना क्योंकि उदासी इतनी सुंदर है; तुम्हारी अंतस - सत्ता का इतना शांत फूल! नृत्य करो, आनंदित होओ, और अचानक तुम अनुभव करोगे कि उदासी तिरोहित हो रही है, एक दूरी निर्मित हो गयी है। धीरे – धीरे, तुम भूल जाओगे उदासी को और तुम उत्सव मना रहे होओगे। तुमने ऊर्जा का रूपांतरण कर दिया होता है। : यही है कीमिया निम्न धातुओं को उच्चतर स्वर्ण में बदल देना। उदासी, क्रोध, ईर्ष्या-निम्न चीजें स्वर्ण में बदली जा सकती हैं, क्योंकि वे बनी होती हैं उन्हीं तत्वों से जिनसे कि स्वर्ण। सोने और लोहे के बीच कोई अंतर नहीं होता है क्योंकि उनमें वही तत्व होते हैं, वही इलेक्ट्रान्स होते हैं। क्या तुमने कभी सोचा है इसके बारे में कि कोयले का एक टुकड़ा और दुनिया का बड़े से बड़ा हीरा बिलकुल एक ही हैं? उनमें कुछ अंतर नहीं । वस्तुतः कोयला ही लाखों वर्षों तक धरती में दब - दब कर हीरा हो जाता है। मात्र दबाव का ही अंतर होता है, लेकिन वे दोनों कार्बन ही हैं, दोनों बनते हैं एक जैसे तत्वों से ही निम्न को बदला जा सकता है उच्चतर में निम्न चीज में किसी चीज का कोई अभाव नहीं केवल एक पुनर्संयोजन, पुनर्गठन की आवश्यकता होती है। यही है कीमिया का पूरा अर्थ । जब तुम उदास हो, तो उत्सव मनाना, और तुम उदासी को एक नया ही रूप दे रहे होते हो। तुम उदासी में कोई चीज पहुंचा रहे होते हो जो कि उसे बदल देगी। तुम उसे उत्सवमय बना रहे होते हो। क्रोधित हो ? - तो सुंदर नृत्य में डूब जाना। शुरू में यह क्रोधमय होगा। तुम शुरू करोगे नृत्य करना और नृत्य क्रोधमय, आक्रामक, हिंसात्मक होगा। धीरे धीरे, वह मधुर और शांत होता जाएगा। अचानक ही तुम भूल चुके होओगे क्रोध को, तो ऊर्जा बदल जाती है नृत्य में। — लेकिन जब तुम क्रोध करते हो, तो तुम सोच ही नहीं सकते नृत्य की बात। जब तुम उदास होते हो तो तुम नहीं सोच सकते गाने की बात। क्यों नहीं अपनी उदासी को एक गान बना लेते पड गाओ, बजाओ अपनी बांसुरी। शुरू में स्वर उदास होंगे, लेकिन उदास स्वर में गलत कुछ नहीं है। क्या तुमने सुना है, दोपहर में कभी जब हर चीज तप रही होती है, गरमी में जल रही होती है, चारों ओर आग आग होती है, अचानक आम्र - कुंज में तुम सुन सकते हो कोयल की कूक उठ रही है! शुरू में, स्वर उदास होता है। वह बुला रही होती है अपने प्रिय को, अपने प्रीतम को इस भरी दुपहरी में चारों तरफ हर चीज आग भरी होती है, और वह तड़प रही होती है प्रेम के लिए बहुत उदास स्वर होता हैलेकिन सुंदर । धीरे • धीरे उदास स्वर बदलने लगता है प्रसन्न स्वर में दूसरे उपवन से प्रिय उत्तर —

Loading...

Page Navigation
1 ... 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419