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देना शुरू कर देता है। अब तपी हुई दोपहर न रही हर चीज शीतल हो रही होती है हृदय में। अब स्वर अलग ही होता है। जब प्रेमी उत्तर देता है, तो हर चीज बदल जाती है। यह एक कीमियापूर्ण बदलाहट होती है।
तुम उदास हो?-तो गीत गाने लगना, प्रार्थना करना, नृत्य करना। जो कुछ तुम कर सकते हो, करना
और धीरे – धीरे निम्न पदार्थ बदल जाता है उच्चतर पदार्थ में स्वर्ण में। एक बार तुम जान लेते हो कुंजी को तो तुम्हारा जीवन फिर वही न रहेगा। तुम खोल सकते हो ताला किसी भी द्वार का। और यह है कुंजियों की कुंजी : हर चीज का उत्सव मनाओ।
मैंने सुना है तीन चीनी फकीरों के बारे में। कोई नहीं जानता उनके नाम। वे जाने जाते थे केवल 'तीन हंसते हुए संतों' के रूप में, क्योंकि उन्होंने कभी कुछ किया ही नहीं था, वे केवल हंसते रहते थे। वे एक नगर से दूसरे नगर की ओर बढ़ जाते, हंसते हुए। वे खड़े हो जाते बाजार में और खूब जोर से हंसते। सारा बाजार उन्हें घेरे रहता। सारे लोग आ जाते। दुकानें बंद हो जाती और ग्राहक भूल जाते कि वे आए किसलिए थे। ये तीनों आदमी सचमुच सुंदर थे -हंसते और उनके पेट हिलते जाते। और फिर यह बात संक्रामक बन जाती और दूसरे हंसना शुरू कर देते। फिर सारा बाजार हंसने लगता। उन्होंने बदल दिया होता बाजार की गुणवत्ता को, स्वरूप को ही। और यदि कोई कहता कि 'कुछ कहो हम से तो वे कहते, 'हमारे पास कहने को कुछ है नहीं। हम तो बस हंस पड़ते हैं और बदल देते हैं गुणधर्म ही।' जब कि अभी थोड़ी देर पहले यह एक असुंदर जगह थी जहां कि लोग सोच रहे थे केवल रुपये - पैसे के बारे में ही, ललक रहे थे धन के लिए, लोभी, धन ही एकमात्र वातावरण था हर तरफ-अचानक ये तीनों पागल आदमी आ पहुंचते हैं और वे हंसने लगते, और बदल देते गुणवत्ता सारे बाजार की ही। अब कोई ग्राहक न था। अब वे भूल चुके थे कि वे खरीदने और बेचने आए थे। किसी को लोभ की फिक्र न रही। वे हंस रहे थे और नाच रहे थे इन तीन पागल आदमियों के आस-पास। कुछ पलों के लिए एक नयी दुनिया का द्वार खुल गया था!
वे घूमे सारे चीन में, एक जगह से दूसरी जगह, एक गांव से दूसरे गांव, बस लोगों की मदद कर रहे थे हंसने में। उदास लोग, क्रोधित लोग, लोभी लोग, ईर्ष्यालु लोग वे सभी हंसने लगे उनके साथ। और बहुतों ने अनुभव की कुंजी-तुम रूपांतरित हो सकते हो।
फिर, एक गांव में ऐसा हुआ कि उन तीनों में से एक मर गया। गांव के लोग इकट्ठे हुए और वे कहने लगे, 'अब तो मुश्किल आ पड़ेगी। अब हम देखेंगे कि कैसे हंसते हैं वे। उनका मित्र मर गया है, वे तो जरूर रोके।' लेकिन जब वे आए, तो दोनों नाच रहे थे, हंस रहे थे, और उत्सव मना रहे थे मृत्यु का। गाव के लोगों ने कहा, 'यह तो बहुत ज्यादती हुई। यह असभ्यता है। जब कोई व्यक्ति मर जाता है तो हंसना और नाचना अधर्म होता है।' वे बोले, 'तुम नहीं जानते कि क्या हुआ। हम तीनों सदा ही सोचते रहते थे कि सब से पहले कौन मरेगा। यह आदमी जीत गया है, हम हार गए। सारी जिंदगी हंसते रहे उसके साथ। तो हम उसे अंतिम विदाई किसी और चीज के साथ कैसे दे सकते हैं? –हमें