Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 02
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 396
________________ तुम्हारा एक हिस्सा कहता है यह बात और दूसरा हिस्सा कहता है, 'मौत आ रही है, हर चीज व्यर्थ है। सुख भोगने में सार क्या है?' ये तुम्हारे एक ही हिस्से नहीं बोल रहे होते। तुममें तीन हिस्से होते हैं। वस्तुतः तीन अहंकार होते हैं, तीन व्यक्ति होते हैं तुम में। । पतंजलि कहते हैं जैसे महावीर कहते है - कि मनुष्य बहु - चित्तवान है। तुम्हारा एक मन नहीं, तीन मन होते हैं; और तीन मन परिवर्तनों द्वारा, सम्मिश्रण द्वारा तीन हजार बन सकते हैं। तुम्हारे पास बहुत मन हैं; तुम हो बहुचितवान हर मन तुम्हें खींच रहा है कहीं और ही तुम एक भीड़ हो । निस्संदेह, कैसे तुम आनंदित हो सकते हो? तुम हो उस बैलगाड़ी की भांति जिसे खींचा जा रहा है विभिन्न दिशाओं में बहुत से बैलों द्वारा एक जुता है उत्तर में, एक लगा हुआ है पश्चिम में और एक साथ-साथ ही लगा हुआ है दक्षिण में। वह बैलगाड़ी कहीं नहीं जा सकती। वह बहुत शोर पैदा करेगी, और अंततः ढह जाएगी, लेकिन वह पहुंच नहीं सकती कहीं। इसीलिए तुम्हारा जीवन बना रहता है खाली जीवन। ये तीनों तत्व द्वंद्व में रहते हैं, और फिर मन की वृतियां हैं वे द्वंद्व में रहती हैं गुणों के साथ। उदाहरण के लिए, मैं जानता हूं एक आदमी को जो कि बहुत सुस्त है और वह कहता था मुझसे, यदि मेरी कोई पत्नी न होती, तो मैं विश्राम करता। पर्याप्त धन था मेरे पास, लेकिन पत्नी तो मुझे मजबूर ही करती रही काम करने के लिए। उसके लिए वह कभी पर्याप्त न हुआ। फिर पत्नी मर गई तो मैंने कहा उस आदमी से, 'तुम्हें तो खुश होना चाहिए। तुम रो क्यों रहे हो? तुम खुश होओ। पत्नी की बात खत्म हुई तुम्हारे लिए, अब तुम कर सकते हो विश्राम।' लेकिन वह रो रहा था बच्चे की भांति वह कहने लगा, 'अब मैं अकेला महसूस करता हूं। और वह आदत बन चुकी है।' पत्नियां और पति बन जाते हैं। वह कहने लगा, अब तो वह आदत बन चुकी है। अब मैं सो नहीं सकता बगैर स्त्री के।' मैंने कहा उससे, 'अब मूढ़ मत बनो! फिर से विवाह करने की कोशिश मत करना क्योंकि जीवन भर तुमने तकलीफ पायी, और दूसरी स्त्री फिर एक स्त्री ही होगी - वह जबरदस्ती बातें मनवाकी तुमसे । फिर तुम्हारा धन पर्याप्त न होगा।' मैंने सुना है एक बहुत धनी व्यक्ति रॉथस्वाइल्ड के बारे में। किसी ने पूछा उससे, 'कैसे कमायी आप इतनी ज्यादा दौलत? कैसे कमा सके? क्या इच्छा रही थी? कैसे बने आप इतने महत्वाकांक्षी ?' वह गरीब आदमी के रूप में उत्पन्न हुआ था और फिर वह संसार का सब से धनवान व्यक्ति बन गया। उसने बताया, 'मेरी पत्नी के कारण मैं कोशिश करता रहा कि जितना संभव हो उतना धन कमाऊ क्योंकि मैं जानना चाहता था कि मेरी पत्नी संतुष्ट हो सकती थी या नहीं में असफल हुआ वह सदा और ज्यादा की ही मांग करती रही। हमारे बीच प्रतिस्पर्धा चलती थी। मैं कोशिश करता रहा ज्यादा से ज्यादा कमाने की, और मैं देखना चाहता था वह दिन जब वह कहेगी कि यह तो बहुत है। उसने कभी नहीं कहा ऐसा – उस प्रतिस्पर्धा के कारण मैं लगातार कमाता रहा, पागलों की भाति कमाता रहा लगातार । अब मैंने कमा लिया है इतना ज्यादा धन कि मैं नहीं जानता कि क्या करूं इसका, लेकिन -

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