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देखे, फ्रायड अभी भी ठीक बना हुआ है। केवल फ्रायड ही नहीं, बल्कि बुद्ध, महावीर और पतंजलि, सभी कहते हैं कि जन्म पीड़ा से भरा होता है, क्योंकि वह एक चोट होता है। लेकिन अंतिम निष्कर्ष तक पहुंचना कठिन है। एक बच्चा जन्मता है और कोई नहीं जानता कि बच्चा कैसा अनुभव करता है। गर्भ में बच्चा आनंदपूर्ण अनुभव करता है या नहीं; या, जब कि पैदा हो रहा होता है, गर्भाश्य से बाहर गुजर रहा होता है और ज्यादा खुले संसार में आ रहा होता है, तो क्या वह दर्द अनुभव करता है? जब वह चीखता है तो पीड़ा होती या कि नहीं होती? कौन करेगा निर्णय?
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निर्णय करने के दो तरीके हैं एक तो हैं वस्तुगत निरीक्षण ऐसा ही तो किया है फ्रायड ने जो लैंग, जैनोव और दूसरे कई कर रहे हैं जो कुछ घट रहा होता है, तुम उसका निरीक्षण कर सकते हो, लेकिन निरीक्षण बाहर-बाहर बना रहता है। तुम वस्तुतः जानते नहीं कि क्या घट रहा होता है। दोनों व्याख्याएं संभव हैं तुम कह सकते कि बच्चा गर्भ में आनंदमय होता है, क्योंकि कोई चिंता नहीं होती, बच्चे को करने को कुछ नहीं होता; हर चीज भेज दी जाती है। बच्चा तो बस आराम करता है, या क्योंकि बच्चा सीमाबद्ध होता है, कैद में होता है तो वह सब जो मां पर असर करता है बच्चे पर असर करता है। यदि मा बीमार होती है तो बच्चा बीमार हो जाता है। यदि मां गिर जाती है और उसकी हड्डिया टूट जातीं, तो बच्चे को चोट लगती है। वह लिए रहेगा वह घाव जीवन भर । यदि मां को सिरदर्द होता है, तो उसका प्रभाव पड़ेगा ही बच्चे पर क्योंकि बच्चा जुड़ा होता है, वह अलग नहीं होता है। यदि मां दुखी होती है, पीड़ित होती है, तो बच्चे पर जरूर पड़ेगा असर बच्चा बहुत कोमल होता है, उसके नाजुक संवेदन तंत्र पर लगातार चोट पड़ेगी अनुभूति द्वारा, भावदशाओ द्वारा और मां में घटने वाली घटनाओं द्वारा बच्चा भीतर कैसे सुखी और आनंदमय हो सकता है? यदि मा संभोग करती है, जबकि बच्चा भीतर गर्भ में होता है, तो बच्चा दुख पाता है। क्यों? जब मां संभोग करती है, तो उसे ज्यादा आक्सीजन की जरूरत रहती है अपने लिए और बच्चे को दी जाने वाली आक्सीजन घट सकती है। श्वास में कमी आ जाती है और बच्चे का दम घुटता हुआ महसूस होता है।
इसी कारण, एक वैज्ञानिक प्रमाणित करने का प्रयत्न करता रहा है – निस्संदेह एक यहूदी वैज्ञानिक, क्योंकि यहूदियों का विश्वास है कि गर्भवती स्त्री से संभोग नहीं करना होता है; उस वैज्ञानिक ने उस खोज से बहुत जाना है कि नौ महीनों तक मां गर्भवती होती है, उससे संभोग नहीं करना चाहिए क्योंकि बच्चा पीड़ा पाएगा। इसके पीछे एक खास कारण है, क्योंकि मा को आक्सीजन की जरूरत होगी उसके शरीर द्वारा इसीलिए संभोग करते समय, स्त्री और पुरुष तेज और गहरी सांस लेना शुरू कर देते हैं। शरीर को ज्यादा आक्सीजन की जरूरत होती है और मा उत्तेजित हो जाती है। शरीर का तापमान ऊंचा चला जाता है और बच्चा घुटन अनुभव करता है। ये बाहर की खोजें हैं।
यदि फ्रायड और लैंग के बीच निर्णय लेना हो, तो निर्णय कभी पूरा नहीं हो सकता, क्योंकि दोनों बाहरी हैं। लेकिन मेरे पास भीतर की दृष्टि है, और इसीलिए मैं कहता हूं कि फ्रायड ठीक है और लैंग ठीक