________________
देगी। वह कोशिश करने लगा इस बात के लिए। इस तरह पैदा हुआ मनोविश्लेषण : विचारों का मुक्त साहचर्य। उसने स्वयं के विषय में किसी बात के लिए कभी कोई कोशिश न की थी। वह वही आदमी बना रहा, उसने कोई परिपक्वता नहीं पायी।
ऐसा ही घटा दूसरों के साथ, और जैनोव के साथ भी। वह काम करता रहा था रोगियों पर और जा टकराया इस तथ्य से कि यदि रोगी जा सके पीछे की ओर जन्म के आघात तक ही, जब कि बच्चा पैदा होता है और वह चीख कर रो पड़ता है पहली बार-वह होती है आदिम चीख-यदि कोई व्यक्ति जा सके पीछे की ओर बिलकुल उसी बिंदु तक जब कि वह बाहर आता है गर्भ से और पहली सांस लेता है तो बहुत सारी चीजों का बिलकुल निराकरण हो जाता है, बहुत सारी समस्याएं तिरोहित हो जाती हैं। मात्र उन्हें फिर से जीने द्वारा, वे तिरोहित हो जाती हैं। उसने वह बात आजमायी नहीं स्वयं पर। वह स्वास्थ्य को उपलब्ध व्यक्ति नहीं है।
फ्रायड बहुत महत्वाकांक्षी था। उसने स्वयं को एक पैगंबर जाना जो कि प्रारंभ कर रहा था दुनिया के एक बड़े आंदोलन का। और वह ईर्ष्यालु था, जैसे कि राजनेता ईर्ष्यालु होते हैं सदा, षड्यंत्रकारी। वह जासूसी करता अपने शिष्यों की और सहयोगियों की, निरंतर भयभीत होता कि कोई उसके आंदोलन को नष्ट करने ही वाला है, आंदोलन पर कब्जा करने ही वाला है, नेता होने वाला है; फ्रायड सदा भयभीत रहता था।
और यही बात जुड़ी थी जुग के साथ। यदि तुम झांकते हो का की आंखों में -हा की एक तस्वीर ले आओ, वह अध्ययन करने योग्य है। उसके चश्मे के पीछे बहुत चालाक आंखें हैं, वह चेहरा ही अहंकारी
जैनोव बहुत महत्वाकांक्षी है और उसकी नयी किताबें साफ दिखा देती हैं उसकी महत्वाकांक्षा को। संयोग है कि वह जा टकराया है एक विधि से जो कोई पूरी चीज नहीं है, मात्र एक अंश है, तो भी अब वह सोचता है कि उसने एक पूरा सत्य खोज लिया है। अब वह सोचता है. यह प्राइमल-थैरेपी ही है वह सब कछ जिसकी जरूरत है, कि यह प्रत्येक को ले जाएगी उस परम निर्वाण तक। यह मढ़ता है। यह है महत्वाकांक्षा।
वे सारे पश्चिमी विचारक जो वहां प्रभावशाली बने हैं, उनके बारे में याद रखने की दसरी बात यह कि वे काम करते रहे हैं बीमार व्यक्तियों के साथ,रोगियों के साथ। उन्हें स्वस्थ लोग कहीं नहीं मिले। तो जो भी हैं उनकी खोजें, वे आधारित हैं रोग – अध्ययन पर। एक स्वस्थ व्यक्ति नितांत अलग होता है अस्वस्थ व्यक्ति से। फ्रायड का कभी सामना नहीं हुआ किसी स्वस्थ व्यक्ति से। इसका प्रश्न ही नहीं उठता, क्योंकि एक स्वस्थ व्यक्ति कभी नहीं जाता वैदय के पास या डाक्टर के पास। क्यों जाएगा कोई न: यदि तुम मानसिक रूप से बीमार नहीं हो, तो क्यों जाओगे तुम किसी मनोचिकित्सक के यहां? इसकी कोई जरूरत नहीं होती। तुम जाते हो केवल इसलिए क्योंकि तुम बीमार होते हो। तो