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अपनी अंतस सत्ता को, वह जाना जाता है अनसीखे द्वारा, सीखे हुए द्वारा नहीं। तुम्हें अपना मन पूरी तरह खाली करना पड़ता है। तुम्हारी 'मैं' की अनुभूति से भी पूरी तरह रिक्त, शून्य होकर, अकस्मात उस शून्यता में तुम अंतस सत्ता को पहली बार अनुभव करते हो, वह शाश्वत है। उसकी कोई मृत्यु नहीं हो सकती। केवल वह सत्ता ही आलिंगन कर सकती है मृत्यु का, और उसी में जानती है कि तुम मृत्यु विहीन हो। अहंकार तो भयभीत रहता है।
पतंजलि कहते हैं:
पांचों क्लेशों के मूल कारण मिटाए जा सकते हैं, उन्हें पीछे की ओर उनके उदगम तक विसर्जित कर देने से।
प्रति-प्रसव? यह एक बहुत-बहुत महत्वपूर्ण प्रक्रिया है-प्रति-प्रसव की प्रक्रिया। यह प्रक्रिया है कारण में फिर से समावेश होना, कार्य को कारण तक लौटा लाना, प्रत्यावर्तन की प्रक्रिया। तुमने सुना होगा जैनोव का नाम, वह आदमी जिसने प्राइमल थैरेपी का फिर से आविष्कार किया है। प्राइमल चिकित्सा प्रति–प्रसव का ही एक हिस्सा है। यह पतंजलि की प्राचीनतम विधियों में से एक है। प्राइमल चिकित्सा में, जैनोव लोगों को सिखाता है उनके बचपन तक आना। यदि कोई बात होती है मुश्किल, तो फिर तम लौट आना उसके मल स्रोत तक जहां से कि वह आरंभ हई। क्योंकि तम समस्या क सुलझाने की कोशिश किए जा सकते हो, लेकिन जब तक कि तुम जड़ तक ही न उतरो, वह सुलझायी नहीं जा सकती है। परिणाम सुलझाए नहीं जा सकते हैं, उन्हें कारण तक लौटाया जा सकता है। यह ऐसा होता जैसे कि एक वृक्ष है और तुम नहीं चाहते उसका होना, लेकिन तुम टहनियां काटते जाते हो, पत्तों को काटते जाते हो, और फिर और टहनियां फूट पड़ती हैं। तुम एक पत्ता काटते हो, तो तीन पत्ते आ जाते हैं। तुम्हें जाना पड़ता है जड़ों तक।
उदाहरण के लिए, एक आदमी है जो स्त्री से भयभीत है। बहुत से लोग आते हैं मेरे पास। वे कहते हैं कि उन्हें भय आता है स्त्री से, बहुत भय। उसी भय के कारण, वे कोई सार्थक संबंध नहीं बना सकते, वे संबंधित नहीं हो सकते; भय सदा ही रहता है। जब तुम भयभीत होते हो, तो संबंध दूषित हो जाएंगे भय द्वारा। तुम समग्ररूप से बढ़ न पाओगे। तुम आधे – आधे मन से जुडोगे, सदा भयभीत होकर; अस्वीकृत होने का भय, यह भय कि शायद 'स्त्री न ही कह दे। और दूसरे भय होते हैं। यदि यह
। एमिल कर के ढंग की विधियों को आजमाता है। यदि वह दोहराए जाता है, 'मैं स्त्रियों से भयभीत नहीं, और हर रोज मैं बेहतर हो रहा हूं?, यदि वह ऐसी बातें आजमाता है तो वह अस्थायी रूप से भय का दमन कर सकता है, लेकिन भय बना रहेगा। और फिर –फिर आता रहेगा।