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प्रवचन 35 प्रतिप्रसवः पुरातन प्राइमल थैरेपी
योगसूत्रः
(साधनापाद)
स्वस्सवाही विदुषोउपि तथारूढोउभिनिवेश:।। 9।।
जीवन में से गुजरते हुए मृत्यु- भय है, जीवन से चिपकाव है। यह बात सभी में प्रबल है- विद्वानों में भी।
ते प्रतिप्रसवहेयाः सूक्ष्माः ।। 10/1
पांचों क्लेशों के मूल कारण मिटाये जा सकते है, उन्हें पीछे की और उनके उद्गम तक विसर्जित कर देने से
ध्यानहेयास्तद्वृत्तयः ।। 11 //
पांचों दुखों की बम अभिव्यक्तियां तिरोहित हो जाती है-ध्यान के द्वारा।
दु.
खों की एक अंतहीन शृंखला जान पड़ता है यह जीवन जन्म से लेकर मृत्यु तक व्यक्ति पीड़ा और पीड़ा ही भोगता है, फिर भी व्यक्ति जीना चाहता है। वह निरंतर जीवन से चिपका रहता है। आल्वेयर कामू ने कहीं कहा है, और बहुत ठीक ही कहा है, 'आत्महत्या एकमात्र आध्यात्मिक समस्या