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मत सोचना कि तुरंत छलांग कोई शार्टकट है ऐसा नहीं है। शार्टकट्स होते हैं जब कोई तुमसे कहता है, मंत्र ले लो, मंत्र का जप सुबह पंद्रह मिनट करो और शाम को पंद्रह मिनट करो, और फिर तुम्हें कोई और चीज करने की जरूरत नहीं पंद्रह दिन के भीतर तुम ध्यानी हो जाओगे।'
पश्चिम में लोग समय के प्रति इतने सचेत होते हैं कि वे सदा इस बात के शिकार होते हैं। कोई आता है और कहता है, 'यही है शार्टकट । मेरा रास्ता बैलगाड़ी का रास्ता नहीं बल्कि जेट का रास्ता है । 'जैसा कि महर्षि महेश योगी कहते हैं। वे कहते हैं, 'मैं तुम्हें शार्टकट देता हूं। बस एक मंत्र जिसका जप तुम प्रातः पंद्रह मिनट करो और शाम को पंद्रह मिनट करो और दो सप्ताह के भीतर तुम संबोधि पा ही लेते हो!'
पश्चिम में लोगों को इतनी जल्दी है वे चाहते हैं इंस्टेंट काफी; वे चाहते हैं इंस्टेंट सेक्स, वे चाहते हैं इंस्टैंट परमात्मा; शार्टकट, सजे पैकेट में रखा हुआ, कि हर चीज पहले से ही गढ़ी हुई हो। पश्चिमी दिमाग पर समय बहुत ज्यादा सवार है, बहुत ज्यादा, और वे भीतर बहुत सारे तनाव बनाए जा रहे हैं। कोई भी आ सकता है और कह सकता है, 'यही है रामबाण और हर चीज सुलझायी जा सकती है पंद्रह मिनट के भीतर ही ।' और तुम क्या करते हो? तुम बैठ जाते हो और जप किए ही जाते हो मंत्र का
पूरब लाखों वर्षों से मंत्रों का जप करता रहा है और कुछ घटित नहीं हुआ और टी एम. शिक्षण के दो सप्ताहों में, तुम प्रज्ञावान हो जाते हो? इस तरह की मूढ़ताएं चलती जाती हैं, क्योंकि तुम जल्दी में हो। कोई न कोई तुम्हारा शोषण करेगा।
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अभी एक रात मैं एक किताब पढ़ रहा था, रिचर्ड चर्च के लघु निबंधों का एक संग्रह पुस्तक का नाम है – 'ए स्ट्रोल बिफोर दि डार्क ।' उस पुस्तक में वह एक घटना याद करता है जो कि उसके एक मित्र के साथ घटी।
एक मित्र जिस पर कि समय का भूत सवार था रेलगाड़ी से यात्रा कर रहा था। अचानक उसे ध्यान आया कि वह अपनी हाथघडी तो भूल ही आया, तो बहुत चिंतित हो गया वह रेलगाड़ी एक छोटे से स्टेशन पर ठहरी । मित्र ने खिड़की से झांका तो कुली गुजर रहा था वहां से उसने कुली से समय के विषय में पूछा। कुली ने कहा, 'मुझे नहीं पता।' वह मित्र बोला, 'क्या ! तुम एक रेलवे के आदमी और तुम नहीं जानते कि समय कितना हुआ? क्या तुम्हारे यहां स्टेशन पर घड़ी नहीं है?' कुली बोला, 'हां, घड़ी तो है। लेकिन मैं क्यों परेशान होऊं समय को लेकर? क्यों मैं परेशान होऊं समय को लेकर, घड़ी है, उससे मुझे क्या लेना-देना!"
यह बात अदभुत है, कुली का यह कहना, 'क्यों में परेशान होऊं समय के संबंध में?' लोग समय के लिए कष्ट पाते हैं और पश्चिम में तो बहुत ज्यादा कष्ट पाते हैं- समय और समय और समय। वे कहते कि समय धन है, और समय बह रहा है, लगातार हाथ से निकला जा रहा है, इसलिए शार्टकट की जरूरत है। कोई तुरंत मांग की पूर्ति कर देता है।