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आप कहते हैं वही करो जो तुम्हारे अपने स्वभाव के अनुकूल पड़ता हो। लेकिन मेरे लिए यह जानना कठिन है कि जो मैं करता हूं वह मेरे स्वभाव के अनुकूल है या मेरे अहंकार के कैसे कोई अहंकार के बहुत-से स्वरों के बीच अपने स्वभाव के स्वर को पहचान लेता है?
जब कभी तुम अहंकार की आवाज को सुनते हो, तो देर- अबेर मुसीबत तो होगी। तुम दुख के
जाल में जा पड़ोगे। इस पर तुम्हें ध्यान देना है अहंकार सदा दुख में ले जाता है, सदा ही, बिना शर्त, सदा ही सुनिश्चित रूप से, बिलकुल ही। और जब कभी तुम स्वभाव की सुनते हो, यह बात तुम्हें स्वास्थ्य की ओर ले जाती है –संतोष की ओर, मौन की ओर, आनंद की ओर। तो यही होनी चाहिए कसौटी। तुम्हें बहुत-सी गलतियां करनी होंगी; और दूसरा कोई उपाय नहीं। तुम्हें ध्यान देना होगा तुम्हारे अपने चुनाव पर, कि कहां से आ रही है आवाज, और फिर तुम्हें देखना होगा कि क्या घटता है क्योंकि फल ही कसौटी है।
जब तुम कुछ करते हो तो ध्यान देना, सजग रहना, और यदि वह बात दुख की ओर ले जाती हो, तब तुम भलीभांति जानते कि वह तो अहंकार था। तब अगली बार सजग रहना, उस आवाज को सुनना ही मत। यदि वह स्वाभाविक हो, तो वह तुम्हें मन की आनंदमयी अवस्था तक ले जाएगी। स्वभाव सदा सुंदर होता है, अहंकार सदा असुंदर होता है। दूसरा कोई और उपाय नहीं सिवाय परीक्षण के और गलती के। मैं तुम्हें कोई कसौटी नहीं दे सकता जिससे कि तुम हर चीज पर निर्णय दे सको, नहीं। जीवन सूक्ष्म है और जटिल है और सारी कसौटियां छोटी पड़ती हैं। निर्णय देने को तुम्हें अपने से ही प्रयास करने होंगे। तो जब कभी तुम कुछ करो, भीतर की आवाज को सन लेना। उस पर ध्यान देना किं वह कहां ले जाती है। यदि वह पीड़ा की ओर ले जाती है, तो निश्चित ही अहंकार से आयी थी।
यदि तुम्हारा प्रेम पीड़ा में ले जाता है, तो वह अहंकार द्वारा आया था। यदि तुम्हारा प्रेम सुंदर मंगलमयता की ओर ले जाता है, एक धन्यता की ओर ले जाता है, तो वह स्वभावगत था। यदि तुम्हारी मित्रता, यहां तक कि तुम्हारा ध्यान भी, तुम्हें पीड़ा मैं ले जाता है तो वह तुम्हारा अहंकार ही था। यदि बात स्वभावगत होती है तो हर चीज अनुकूल बैठेगी, हर चीज समस्वरता से भरी होगी। स्वभाव बहुत अच्छा होता है, स्वभाव सुंदर होता है, लेकिन तुम्हें उसे समझना होगा।
सदा इस पर ध्यान देना कि तुम क्या कर रहे हो और वह बात तुम्हें कहां ले जाती है। धीरे – धीरे तुम जान जाओगे कि अहंकार क्या चीज है, और स्वभाव क्या चीज है; कौन-सी चीज असली है और कौन-सी चीज नकली है। इसमें समय लगेगा और सजगता की, ध्यान देने की जरूरत पड़ेगी। और स्वयं को धोखा मत देना-क्योंकि पीड़ा की ओर अहंकार ही ले जाता है, और कोई चीज नहीं। किसी दूसरे पर जिम्मेदारी मत फेंक देना; दूसरा तो अप्रासंगिक होता है। तुम्हारा अहंकार पीड़ा में ले जाता