Book Title: Patanjali Yoga Sutra Part 02
Author(s): Osho
Publisher: Unknown

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Page 295
________________ समय कम नहीं पड़ रहा है। समय शाश्वत है, कहीं कोई जल्दी नहीं। अस्तित्व बहत आराम-पसंद ढंग से चलता है। अस्ति मे चलता है। जैसे कि गंगा बहती मैदान में - धीमी, जैसे कि बिलकुल बह ही न रही हो। फिर भी पहुंचती है सागर तक। समय थोड़ा नहीं है, भगदड़ में मत पड़ो। समय पर्याप्त है। तुम आराम से रहो। यदि तुम शात रहते हो, तो सबसे लंबा मार्ग भी सबसे छोटा हो जाएगा। यदि तुम बदहवास हो, जल्दबाजी में होते हो, तो छोटा मार्ग भी बहुत लंबा हो जाएगा क्योंकि जल्दबाजी में ध्यान असंभव हो जाता है। जब तुम भाग -दौड़ मचाते हो, जल्दी में होते हो तो वह जल्दी ही बाधा हो जाती है। जब मैं कहता हूं, 'छलांग लगा दो' – और तुम तुरंत लगा सकते हो छलांग-तों मैं शार्टकट या लांगकट की बात नहीं कर रहा। मैं मार्ग की तो बिलकुल बात ही नहीं कर रहा, क्योंकि छलांग कोई मार्ग नहीं। छलांग की घड़ी एक साहसिक घड़ी होती है -वह एक अचानक घटना है। लेकिन मेरा यह मतलब नहीं कि तुम बिलकुल अभी ऐसा कर सकते हो। मैं जोर देता रहूंगा, 'तुरंत छलांग लगा दो, जितनी जल्दी संभव हो।'यह जोर इसके लिए तैयार होने में तुम्हारी मदद देने को ही है। किसी दिन शायद तुम तैयार हो जाओ। कोई बिलकुल अभी तैयार हो सकता है क्योंकि तुम नए नहीं हो, बहुत जन्मों से तुम कार्य कर ही रहे हो। जब मैं कहता हूं, 'तुरंत लगा दो छलांग', तो हो सकता है कोई ऐसा हो जो बहुत जन्मों से कार्य कर रहा हो, और बस किनारे पर ही खड़ा हुआ हो, विशाल शून्य के किनारे, और भयभीत हो। वह साहस कर सकता है और लगा सकता है छलांग। कोई जो बहुत दूर होता है, सोचता है कि तुरंत छलांग संभव है, वह आशा से भर जाएगा और चलने लगेगा। जब मैं कुछ कहता हूं तो वह एक उपाय होता है –कई प्रकार की स्थितियों में पड़े कई प्रकार के लोगों के लिए। लेकिन तो भी मेरा मार्ग शार्टकट नहीं है। क्योंकि कोई मार्ग हो नहीं सकता है शार्टकट। यह शब्द ही धोखा-धड़ी का है। जीवन किसी शार्टकट्स से परिचित नहीं होता क्योंकि जीवन का कोई आरंभ नहीं। परमात्मा किन्हीं शार्टकट्स को नहीं जानता। परमात्मा को कोई जल्दी नहीं-शाश्वतता का अस्तित्व है। तुम धीरे – धीरे इस पर काम कर सकते हो। और जितने ज्यादा धैर्य से, जितने धीरे से, जितने ज्यादा अशीघ्र -रूप से तुम काम करते हो, उतने ज्यादा जल्दी तुम पहुंचोगे। यदि तुम इतने धैर्यवान हो सकते हो, इतने असीम रूप से धैर्यवान कि तुम्हें बिलकुल चिंता ही नहीं पहुंचने की, तो तुम बिलकुल अभी पहुंच सकते हो। आज इतना ही।

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