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हैरान होकर वह धनपति कहने लगा, लेकिन तुमने कैसे बता दिया?' वह बोला, 'क्योंकि मैं दायीं आंख देख सकता हूं थोड़ी बहुत करुणा; तो जरूर वही होगी नकली । '
उसने देखी थी थोड़ी करुणा, एक हल्की-सी चमक, और वह नकली ही होनी थी। यदि संवेदन- शील हो तो धनवान धनवान ही नहीं होता। धन इकट्ठा करते-करते वह मरता ही जाता है।
तुम्हारे शरीर को मारने के दो तरीके हैं एक तरीका है स्व - पीड़क का जो कि पीड़ा पहुंचाता है। दूसरा तरीका है धनपति का जो कि धन और कूड़ा करकट इकट्ठा करता रहता है। धीरे धीरे वह सारा कूड़ा-करकट जिसे वह जमा कर लेता है, एक बाधा बन जाता है और वह कहीं बढ़ नहीं सकता, वह देख नहीं सकता, वह सुन नहीं सकता, वह स्वाद नहीं ले सकता, वह सूंघ नहीं सकता। सरल जीवन का अर्थ होता है बिना उलझाव का जीवन । ध्यान रहे, यह कोई गरीबी का पोषण नहीं, क्योंकि यदि तुम गरीबी को पोषित करते हो प्रयास द्वारा, तो फिर वह पोषण ही तुम्हें मार देगा।
सहज जीवन एक गहरी समझ का जीवन होता है, जानबूझ कर बढ़ाने सजाने का नहीं। वह गरीबहोने का अभ्यास नहीं। तुम गरीब होने का अभ्यास कर सकते हो, लेकिन उस अभ्यास द्वारा तुम्हारी संवेदनाएं कठोर हो जाएंगी। किसी भी चीज का अभ्यास तुम्हें कठोर बना देता है, कोमलता - खो जाती है, लचीलापन चला जाता है। फिर तुम बच्चे की तरह लचीले नहीं रहते। तब तुम जड़ बन जाते हो किसी वृद्ध की भांति लाओत्सु कहता है, 'जड़ता मृत्यु है, लचीलापन जीवन है।' सहज सरल जीवन, पोषित किया दरिद्र जीवन नहीं होता। गरीबी को अपना उद्देश्य मत बनाओ और उसे बढ़ाने की कोशिश मत करो। जरा-सा समझ भर लो कि जितना ज्यादा सहज, निर्धार तुम्हारा शरीर और मन होता है, उतने ज्यादा तुम प्रवेश कर सकते हो अस्तित्व में। निर्भर होकर तुम सत्य के सीधे संपर्क में आ सकते हो; भार सहित ऐसा नहीं हो सकता। धनपति के रास्ते में सदा उसका बैंक खाता आ जमता है।
तुम देखते हो इंग्लैंड की महारानी को, एलिजाबेथ को? वह हाथ तक नहीं मिला सकती बिना दस्ताने के मानव स्पर्श भी कोई अशुद्ध चीज जान पड़ता है, कोई असुंदर चीज! रानी राजा घेरे में बंद हु जीते हैं, यह कोई हाथ की बात ही नहीं वह तो एक प्रतीक मात्र है यह बताने का कि रानी का जीवन दफन हो गया है, वह जीवंत नहीं है।
मध्ययुग में योरोप में ऐसा विचार चलता था कि राजाओं और रानियों की दो टांगें नहीं होती हैं, क्योंकि किसी ने कभी उन्हें निरावरण देखा ही नहीं होता था ऐसा सोचा जाता था कि उनके एक ही टांग होगी। वे मानव नहीं, वे दूरी पर रहे होते थे।
अहंकार सदा दूरी पर रहने की कोशिश करता है, और दूरी तुम्हें संवेदनशून्य बना देती है। तुम जाकर सड़क पर खेलते बच्चे को छू नहीं सकते। तुम किसी पेड़ के पास जाकर उससे लिपट नहीं सकते।