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वह कहता है उस पर तुम विश्वास कर लोगे क्योंकि तुम्हारी बुद्धि सोने चली गयी है। बुद्धिमत्ता कार्य नहीं करती। तुम एक छोटे बच्चे की भांति हो जाते हो-जिसके पास आस्था होती है। तो जो कुछ भी सम्मोहनविद कहता है, तुम्हें उसका विश्वास करना पड़ता है। तुम्हारा चेतन मन काम नहीं कर रहा है। केवल अचेतन मन कार्य करता है। अब किसी बेतुकी बात पर भी विश्वास आ जाएगा।
यदि सम्मोहनविद कहता है कि तुम घोड़े बन गए हो तो-तुम नहीं कह सकते, 'नहीं', क्योंकि कौन 'नहीं' कहेगा? गहरी निद्रा में विश्वास संपूर्ण होता है; तुम घोड़े बन जाओगे, तुम घोड़े की भांति अनुभव करोगे। और यदि वह कहता है अब तुम हिनहिनाओ घोड़े की भांति, तो तुम हिनहिनाओगे। यदि वह कहे, दौड़ो, कूदो-घोड़े की भाति, तो तुम कूदोगे और दौड़ने लगोगे।
सम्मोहन कोई साधारण निद्रा नहीं। साधारण निद्रा में तुम किसी से नहीं कह सकते कि तुम घोड़ा बन गए हो। पहली तो बात यदि वह तुम्हें सुनता है तो वह सोया हुआ नहीं होता। दूसरी बात यह कि यदि वह तुम्हें सुनता है तो वह सोया हुआ नहीं होता और जो तुम कह रहे हो वह उस पर विश्वास नहीं करेगा। वह आंखें खोलेगा अपनी और हंसेगा और कहेगा, 'क्या तुम पागल हुए हो! क्या कह रहे हो तुम? मैं और एक घोड़ा?'
सम्मोहन एक उत्पन्न
द्रा होती है। निद्रा से ज्यादा तो वह किसी नशे की भांति है। तम किसी नशे के प्रभाव में होते हो। नशीला द्रव्य साधारण रासायनिक द्रव्य नहीं होता, बल्कि वह देह में बहुत गहरे तक चला गया एक रसायन होता है। किसी एक निश्चित शब्द का दोहराव मात्र ही शरीर के रसायन को बदल देता है। इसलिए मनुष्य के सारे इतिहास में मंत्र इतने ज्यादा प्रभावकारी रहे हैं। निरंतर रूप से किसी खास शब्द का दोहराव शरीर के रसायन को बदल देता है क्योंकि एक शब्द मात्र एक शब्द ही नहीं होता; उसकी तरंगें होती हैं, वह एक विदयुत घटना है। एक शब्द निरंतर तरंगित होता है : राम, राम, राम; वह गुजरता है शरीर के सारे रसायन में से। वे तरंगें बहत शीतलता से आती हैं; वे तुम्हारे भीतर एक मंद-मंद गुनगुनाहट बना देती हैं, उसी भांति जैसे कि मां लोरी गा रही होती है, जब बच्चा सो नहीं रहा होता। लो त सीधी-सरल बात है। एक या दो पंक्तियां लगातार दोहरा दी जाती हैं। और यदि मा बच्चे को अपने हृदय के समीप ले जा सकती है, तब तो प्रभाव और जल्दी होगा क्योंकि हृदय की धड़कन एक और लोरी बन जाती है। हृदय की धड़कन और लोरी दोनों साथसाथ हों, तो बच्चा गहरी नींद सो जाता है।
यही सारी तरकीब है जप की और मंत्रों की, वे तुम्हें एक बढ़िया प्रभावपूर्ण नींद में पहुंचा देते हैं। उसके बाद तुम ताजा अनुभव करते हो। लेकिन कोई आध्यात्मिक बात उसमें नहीं होती, क्योंकि आध्यात्मिक का संबंध होता है ज्यादा सजग होने से, न कि कम सजग होने से।
ध्यान से देखना किसी सम्मोहनविद को। क्या कर रहा होता है वह? प्रकृति ने वही किया है तुम्हारे साथ। प्रकृति सबसे बड़ी सम्मोहक है, उसने तुम्हें सम्मोहनकारी सुझाव दिए होते हैं। वे सुझाव पहुंचाए