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यदि तुम विस्मय में जी सकते हो तो तुम उत्सव मनाने में सक्षम हो जाओगे। ज्ञान में मत जीओ; विस्मय-विमुग्धता में जीओ। तुम कुछ जानते नहीं। जीवन अनोखा है हर कहीं, यह एक निरंतर आश्चर्य-जनक घटना है। आश्चर्य की भाति जीओ इसे; अनुमान के बाहर की घटना: हर पल नया है। जरा कोशिश करो, आजमाओ इसे। तुम कुछ गंवाओगे नहीं यदि तुम थोड़ी कोशिश करो इसके लिए, और तुम पा सकते हो हर चीज। लेकिन तुम तो दुख के प्रति आसक्त हो गए हो। तुम चिपके रहते हो अपने दुख से जैसे कि वह कोई बहुत कीमती चीज हो। जान लो अपनी आसक्ति को।
जैसा कि मैंने कहां तुमसे, दो प्रकार के व्यक्ति होते हैं: पर-पीड़क और स्व-पीड़क। पर-पीड़क दूसरों को यातना दिए जाते हैं, स्व-पीड़क अपने को ही यातना पहुंचाए जाते हैं।
एक प्रश्न पूछा है किसी ने 'क्यों लोग ऐसे हैं या तो दसरों को पीड़ा देते हैं या फिर वे स्वयं को ही पीडित करते रहते हैं? जीवन में इतनी ज्यादा आक्रामकता और हिंसा क्यों है?'
यह एक नकारात्मक अवस्था होती है। तुम पीड़ा देते हो, क्योंकि तुम आनंदित नहीं हो सकते। तुम पीड़ित करते, हिंसात्मक हो जाते, क्योंकि तुम प्रेम नहीं कर सकते हो। तुम क्रूर बन जाते हो, क्योंकि तुम नहीं जानते कि करुणामय कैसे हुआ जाता है। वह एक नकारात्मक अवस्था होती है। वही ऊर्जा जो कि क्रूरता होती है, करुणा बन जाएगी। सोए हुए मन के साथ ऊर्जा हिंसा बन जाती है। जागे हुए मन के साथ वही ऊर्जा करुणा बन जाती है। सोए होते हो तो वही ऊर्जा एक पीड़ा बन जाती है, या तो तुम्हारी या किसी और की। जब तुम जागे हुए होते हो, तो वही ऊर्जा प्रेम बन जाती है-तुम्हारे अपने लिए और दूसरों के लिए भी। जीवन तुम्हें अवसर देता है, लेकिन किसी चीज के गलत हो जाने के हजारों कारण होते हैं।
क्या कभी तुमने ध्यान दिया कि यदि कोई दुखी होता है, तो तुम सहानुभूति दिखाते हो, तुम बहुत प्रेम अनुभव करते हो? वह ठीक प्रकार का प्रेम नहीं होता है, तो भी तुम दिखाते हो सहानुभूति। यदि कोई प्रसन्न होता है, उत्सवमय, आनंदपूर्ण होता है तो तुम ईर्ष्या अनुभव करते हो, तुम्हें बुरा लगता है। बहुत कठिन होता है प्रसन्न व्यक्ति के साथ सहानुभूति अनुभव करना। बहुत कठिन होता है खुश आदमी के लिए भलाई अनुभव करना। तुम्हें भला लगता है, जब कोई अप्रसन्न होता है। कम से कम तुम सोच सकते हो कि तुम उतने अप्रसन्न नहीं और तुम कुछ ऊंचे हो; तुम सहानुभूति जताते हो।
एक बच्चा जन्मता है और वह बच्चा चीजें सीखने लगता है। देर- अबेर वह जान लेता है कि जब वह दुखी होता है, तो वह सारे परिवार का ध्यान आकर्षित कर लेता है। वह बन जाता है केंद्र और हर कोई उसके लिए सहानुभूति प्रकट करता है, हर कोई उससे प्रेम अनुभव करता है। जब कभी वह आनंदित होता है और स्वस्थ होता है और हर चीज ठीक होती है, तो कोई फिक्र नहीं करता उसकी