________________
आज इतना ही।
प्रवचन 32 संदेशनशीलता, उत्सव और स्वीकार
प्रश्न- सार
-
1- अहंकार साथ है; कैसे समर्पण करूं?
2- आप चेतना के शिखर है, इसलिए आप उत्सव मना सकते है, लेकिन एक साधारण आदमी कैसे उत्सव मना पायेगा?
3- कई बार संवेदनशीलता के साथ नकारात्मक भाव क्यों उठते है?
4- संवेदनशीलता मुझे इंद्रिय लोलुपता और भोगासक्ति में ले जाती है।
पहला प्रश्न:
आपने कल कहां कि समर्पण घटता है जब कहीं कोई अहंकार नहीं होता लेकिन हम तो अहंकार के साथ ही जीते हैं कैसे हम समर्पण में उतर सकते हैं?